नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जुड़े अध्ययन संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, दिव्यांग और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले हजारों विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं दी जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इन अध्ययन संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति का लाभ दिया जाए।
उन्होंने कहा कि ये सरकार की दोहरी नीति है जो माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले चुनिंदा विद्यार्थियों को तो छात्रवृत्ति देती है लेकिन विश्वविद्यालय से जुड़े अध्ययन संस्थानों के हजारों छात्र-छात्राओं को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है।
उमंग सिंघार ने लगाया छात्रवृत्ति में भेदभाव का आरोप
उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है कि वंचित वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से संबद्ध अध्ययन संस्थानों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, दिव्यांग और ग्रामीण पृष्ठभूमि के हजारों छात्र-छात्राएं छात्रवृत्ति से वंचित हैं। इसकी वजह से वे मीडिया और संबंधित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विश्वविद्यालय के चुनिंदा छात्रों को तो छात्रवृत्ति देती है, लेकिन संबद्ध संस्थानों के हजारों छात्रों को इस लाभ से वंचित रखा गया है।
सरकार से की मांग
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि कई सामान्य वर्ग के मेधावी विद्यार्थी, गांव कि बेटी, अपंग विद्यार्थी और सिंगल गर्ल चाइल्ड को भी स्कॉलरशिप से वंचित रखा गया है। उमंग सिंघार ने सरकार से मांग की कि सरकार को आवास सहायता योजना, निशक्त छात्रवृत्ति योजना और पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप जैसी योजनाओं का लाभ इन छात्रों तक पहुंचाना चाहिए। इससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र न केवल शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि भविष्य में मीडिया में अपने समाज की आवाज को प्रभावी ढंग से उठा पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो ये मान लेना चाहिए कि वह आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग को मीडिया से दूर रखना चाहती है।
यह तथ्य किसी से छुपा नहीं है कि आज भी पूरे देश की मुख्यधारा की मीडिया में आदिवासी, दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और दिव्यांग वर्ग का प्रतिनिधित्व नगण्य है।
इसी परिपेक्ष्य में, राज्य के एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय में इन वर्गों का हक़ किस तरह से मारा जा रहा है, इसकी एक बानगी… pic.twitter.com/Xzb6B3Vt3P
— Umang Singhar (@UmangSinghar) June 12, 2025





