Ustad Amjad Ali Khan Not Invited to Tansen Festival : सुप्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने कहा है कि उन्हें देश-विदेश में प्यार और सम्मान मिला, लेकिन अपने ही राज्य मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। मीडिया के साथ उनके इस इंटरव्यू को शेयर करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि इस बात से साबित हो जाता है कि मध्यप्रदेश सरकार को अपने प्रदेश की कला और प्रतिभा को पहचानने की समझ नहीं है।
उस्ताद अमजद अली खान भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित सरोद वादक हैं। उनका जन्म 9 अक्टूबर 1945 को ग्वालियर में हुआ था। उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। वे सेनिया बंगश घराने की छठी पीढ़ी के संगीतज्ञ हैं, जो मियां तानसेन से अपनी परंपरा जोड़ता है। उनके पिता, उस्ताद हाफ़िज़ अली खान, ग्वालियर राज-दरबार में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे। उनके घराने के संगीतकारों ने ईरान के पारंपरिक वाद्ययंत्र ‘रबाब’ को भारतीय संगीत के अनुरूप बदलकर उसे ‘सरोद’ नाम दिया है।
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उस्ताद अमजद अली खान को तानसेन समारोह में नहीं बुलाया, जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा
ये बात संगीत प्रेमियों को निराश कर सकती है। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा है कि देश विदेश में प्रतिष्ठा मिलने के बावजूद अपने ही राज्य में उनकी उपेक्षा की गई। इसे लेकर जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भास्कर की खबर शेयर करते हुए लिखा है कि ‘मुझे देशभर में प्यार मिला, लेकिन मेरे अपने प्रांत में प्यार नहीं मिला! इससे मेरा मन दुखी है, मैंने मप्र के सीएम को पत्र लिखा, लेकिन वहां से मिलने का समय नहीं मिला! सीएम डॉ मोहन यादव जी विश्व प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान साहब के ये शब्द सबूत हैं, अपने प्रदेश की कला और प्रतिभा को पहचानने की समझ आप में नहीं है। संगीत के इस सार्वजनिक अपमान के लिए आपको तत्काल माफी मांगनी चाहिए।’
यूनेस्को की टीम करेगी ‘सरोद घर’ का दौरा
बता दें कि आज ग्वालियर स्थित प्रतिष्ठित सरोद घर में यूनेस्को की टीम विशेष भ्रमण के लिए पहुंचेगी। इस अवसर पर उस्ताद अमजद अली खान सरोद वादन की प्रस्तुति भी देंगे। सरोद घर ग्वालियर में स्थित एक संगीत संग्रहालय है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करता है। यह संग्रहालय उस्ताद अमजद अली खान और उनके परिवार की संगीत परंपरा से जुड़ा हुआ है। यहां भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी दुर्लभ पांडुलिपियां, ऐतिहासिक वाद्ययंत्र, तस्वीरें और हस्तलिखित रचनाएं संरक्षित हैं। उस्ताद अमजद अली खान ने ग्वालियर में संगीत के प्रति घटती रुचि पर चिंता भी व्यक्त की है। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि यहां के लोग संगीत की तुलना में राजनीति में अधिक रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में युवाओं के लिए संगीत एक जोखिम भरा करियर बन गया है, जिससे उनकी रुचि इसमें कम होती जा रही है।
"मुझे देशभर में प्यार मिला, लेकिन मेरे अपने प्रांत में प्यार नहीं मिला! इससे मेरा मन दुखी है, मैंने मप्र के सीएम को पत्र लिखा, लेकिन वहां से मिलने का समय नहीं मिला!"@DrMohanYadav51 जी,
विश्व प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान साहब के ये शब्द सबूत हैं, अपने प्रदेश की कला और… pic.twitter.com/NFjDV7lYfO— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) March 3, 2025