वंदे मातरम् : जब बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी लेखनी से जगाई देशभक्ति की अलख, जानिए भारत के राष्ट्रगीत से जुड़ी अहम जानकारी

आज भारत के राष्ट्रगीत के रचयिता की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने उनके साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय बंगाली भाषा के प्रमुख उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। उनकी रचनाएं बंगाली साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और उन्होंने अपनी रचनाओं के ज़रिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति की भावना जगाने में अहम भूमिका निभाई।

Vande Mataram : जब भी हम “वंदे मातरम्” गीत सुनते हैं तो मन में देशभक्ति की लहर उठ जाती है। ये सिर्फ एक एक गीत नहीं बल्कि वो भावना है जो देश के करोड़ों लोगों को एक सूत्र में जोड़ती है। “वंदे मातरम्” भारत का राष्ट्रगीत है और जब इसकी स्वर लहरियां कानों में पड़ती हैं तो आंखों के सामने इस देश की मिट्टी, इसकी हरियाली, कलकल बहती नदियां और मातृभूमि के लिए लड़ने वाले वीरों के बलिदान की स्मृति ताज़ा हो जाती है।

आज “वंदे मातरम्” गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए X पर लिखा है कि ‘राष्ट्रीय गीत ‘मातरम्’ के रचनाकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आपकी लेखनी राष्ट्रचेतना का शंखनाद थी। ‘आनंदमठ’ जैसे कालजयी उपन्यास में रचित “वंदे मातरम्” ने भारतवर्ष के नवजागरण को ओजस्वी स्वर दिए। आपका साहित्य सदैव भावी पीढ़ियों को देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा।’

वंदे मातरम् : भारत का राष्ट्रगीत

“वंदे मातरम्” राष्ट्रगीत हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है। ये हमारी मातृभूमि से, हमारी संस्कृति से हमारा परिचय कराता है। जब भी कहीं “वंदे मातरम्” की गूँज सुनाई देती है..हमारे भीतर ऊर्जा, गर्व और देशभक्ति की भावना हिलोरें मारने लगती हैं। भारत  का राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” सिर्फ एक गीत है, बल्कि आजादी की लड़ाई और उसकी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है।

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने रचा ये अमर गीत

“वंदे मातरम्” गीत को लिखा है सुप्रसिद्ध बंगाली लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने। उनका जन्म 27 जून 1838 को बंगाल के कंठालपाड़ा गांव में हुआ था। बंकिम बाबू एक बड़े लेखक और कवि थे जिन्होंने अपनी कलम से देशभक्ति की अलख जगाई। साल 1882 में उनका उपन्यास “आनंदमठ” छपा जिसमें ये गीत पहली बार सामने आया। इस गीत को उन्होंने संस्कृत और बंगाली मिश्रित भाषा में लिखा था। उस समय देश में अंग्रेजों का शासन था और बंकिम बाबू ने इस गीत के जरिए लोगों में आजादी की अलख जगाई थी। उनकी मृत्यु 8 अप्रैल 1894 को हुई..लेकिन इस गीत और अपनी अन्य साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से वे आज भी जीवित हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर ने संगीत और स्वर से सजाया

“वंदे मातरम्” को स्वर और संगीत दिया सुप्रसिद्ध कवि साहित्यकार और भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने। उन्होंने “वंदे मातरम्” गीत को पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया था। इसके बाद जल्द ही ये गीत आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों की आवाज़ बन गया।

राष्ट्रगीत बनने की कहानी

भारत को 1947 में आज़ादी मिलने के बाद ये सवाल उठा कि भारत का राष्ट्रगान कौन सा होगा। इसपर लंबी चर्चा के बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने निर्णय लिया कि ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान और ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया जाएगा। 26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान बना तब “वंदे मातरम्” को राष्ट्रगीत ((National Song)) का दर्जा दिया गया। इस तरह “जन गण मन” हमारा राष्ट्रीय गान बना और “वंदे मातरम्” को राष्ट्रगीत का दर्जा मिला। ये गीत हमारे देश के गौरव का प्रतीक है और जब जब “वंदे मातरम्” गाया या बजाया जाए तो हर नागरिक को सम्मानपूर्वक खड़े होकर इसे सम्मान देना चाहिए।

क्या है इस गीत का अर्थ

“वंदे मातरम्” का अर्थ है “मैं माता को प्रणाम करता हूँ”। ये गीत भारत देश को एक माँ की तरह देखता है और उसकी प्रशंसा  करता है। आसान भाषा में इसके पहले हिस्से का अर्थ है ‘मैं अपनी मातृभूमि को नमस्कार करता हूँ, जो पानी से भरी, फल देने वाली, ठंडी हवाओं वाली और हरे-भरे खेतों से सजी है।’ इसका दूसरा हिस्सा कहता है ‘ये माँ चाँदनी से जगमगाती रातों वाली, फूलों से लदे पेड़ों से सुंदर, हँसमुख, मीठा बोलने वाली और हमें सुख व आशीर्वाद देने वाली है।’ इस तरह ये गीत कहता है कि हमारा देश बहुत खूबसूरत और प्यारा है ठीक वैसे ही जैसे एक माँ होती है जो हमें सब कुछ देती है और हम उससे बहुत प्यार करते हैं। ये देशभक्ति और सम्मान का गीत है और जब भी गूंजता है तो हमारा ह्रदय गौरव से भर जाता है।


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News