सावधान! अपनी ही खुशियों पर न दागें गोली, शादी के दौरान हर्ष फायरिंग में दुल्हन को लगी बुलेट, हालत गंभीर

अगर कोई अच्छा अवसर है तो खुशी का प्रदर्शन करने के कई बेहतर तरीके हो सकते हैं। लेकिन खुशी में गोली चलाना जानें कब कैसे शुरु हुआ होगा। और इससे भी बड़ा सवाल ये है कि ऐसी कुप्रथाएं खत्म कब होंगी। इन्हें रोकने के लिए क़ानून जितने बना दिए जाएं, लेकिन जब तक उनका सही तरीके से पालन नहीं होगा, सब बेअसर है। किसी उत्सव या जश्न में बिना उद्देश्य के हथियार चलाना भला कैसे सही ठहराया जा सकता है। ऐसी चीजों पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए बड़े स्तर पर मुहिम चलाए जाने की ज़रूरत है।

Celebratory firing

Stop Celebratory firing : हर्ष का क्या अर्थ होता है ? अब आप कहेंगे कि भला ये भी कोई सवाल हुआ। लेकिन इस सवाल के पीछे एक मकसद है। मकसद ये जानना कि आख़िर हर्ष के समय गोली-बंदूकों का क्या काम ? खुशी मनाने का ये कौन सा तरीका है जिसमें किसी की जान पर बन आए। पंजाब के फिरोजपुर से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां हर्ष फायरिंग के दौरान दुल्हन के सिर में गोली लग गई। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

ये कोई पहला मौका नहीं है जब शादी में हुई फायरिंग के दौरान किसी के घायल होने की ख़बर आई हो। अक्सर ही हम ऐसे समाचार पढ़ते सुनते रहते हैं जहां हर्ष फायरिंग में कोई घायल हो जाता है..यहां तक कि कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन फिर भी शादियों में बंदूकें चलने-चलाने का सिलसिला खत्म ही नहीं हो रहा। इसे लेकर क़ानूनी प्रावधान भी है..मगर खुशी का नशा और बंदूक का ज़ोर एक साथ मिल जाए तो कई बार लोग आपा खो बैठते हैं।

दुल्हन को लगी गोली

ताजा घटना रविवार की है जहां पंजाब में फिरोजपुर के खाई फेमे गांव में शादी की खुशियां मनाई जा रही थी। बाज सिंह की बेटी बलजिंदर कौर की शादी थी और वो गुरप्रीत सिंह के साथ विवाह बंधन में बंधने जा रही थी। इसी दौरान वहां हर्ष फायरिंग होने लगी और जाने कब एक गोली सीधे दुल्हन के सिर में जा लगी। शादी का माहौल यकायक गम और अफरा-तफरी में बदल गया। दुल्हन गंभीर रूप से घायल हो गई थी और उसे तुरंत एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी भी उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। इस दर्दनाक घटना ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। खुशी में शरीक हुए मेहमान भी अब बलजिंदर कौर के जल्द ठीक होने की दुआएं कर रहे हैं। घटना से शादी समारोह की रौनक गम में बदल गई और हर कोई इस हादसे से स्तब्ध है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और तफ्तीश शुरू कर दी गई है। पुलिस ने मौके से सीसीटीवी फुटेज जब्त कर लिया है और हर्ष फायरिंग करने वाले व्यक्ति की पहचान की जा रही है।

हर्ष फायरिंग पर कब कसेगी लगाम ?

इस दुखद घटना ने एक बार फिर हर्ष फायरिंग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये एक ऐसा विषय है जिसपर गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। इस तरह की चीजों को लेकर क़ानून तो बना दिए जाते हैं, लेकिन जब तक इनका सख्ती से पालन नहीं किया जाएगा, सब बेअसर है। भारतीय समाज में शादी एक पवित्र अवसर माना जाता है। परिवार और समाज मिलकर इस खुशी को साझा करते हैं, लेकिन कई बार इस खुशी के उत्साह में कुछ ऐसी गतिविधियां शामिल हो जाती हैं जो सुरक्षा को भी खतरे में डाल देती हैं। हर्ष फायरिंग भी इसी का उदाहरण है।

कानून के साथ सामाजिक जागरूकता की भी ज़रूरत

हर्ष फायरिंग या ‘सेलिब्रेटरी फायरिंग’ में खुशी जताने के लिए हवा में गोलियां दागी जाती है..लेकिन कब कौन सी गोली अपना रास्ता बदल ले और किसी मासूम का शिकार कर बैठे, कहा नहीं जा सकता। ऐसी दुखद घटनाएं कई बार हो चुकी है और अब भी इनपर रोक नहीं लग रही। इसीलिए इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सामूहिक रूप से कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए क़ानून तो बने ही हुए है, लेकिन उनका कड़ाई से पालन किया जाए, ये सुनिश्चित करना होगा। ऐसी किसी भी कुप्रथा को व्यक्तिगत जागरूकता के साथ-साथ सामाजिक प्रतिबंध लगाकर ही रोका जा सकता है। घर के बुजुर्ग और समाज के ज़िम्मेदार लोग आगे आकर इसपर रोक लगाने का ऐलान कर सकते हैं। युवा अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए खुशी को जाहिर करने के लिए सकारात्मक तरीके ढूँढ सकते हैं। इस तरह आपसदारी से सहयोग करते हुए हर्ष फायरिंग जैसी चीजों को खत्म करना बेहद आवश्यक है..ताकि खुशी का मौके पर किसी तरह का ग्रहण न लगे।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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