MP: वनवास खत्म, अब कुर्सी की जंग, कौन होगा मुख्यमंत्री..?

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भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस की अब सत्ता में वापसी हो गई है| यह जीत आसान नहीं थी, गुटबाजी के मुद्दे को समझते हुए सभी दिग्गज नेताओं ने एक होकर प्रदेश में तीन बार से सत्ता में काबिज भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया| अब सरकार बनाने के बाद सबसे बड़ा सवाल इस समय चर्चा में है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा| पार्टी के अंदरखाने जोरो पर चर्चा शुरू हो गई है | वहीं पीसीसी में कार्यकर्ताओं का जमावड़ा है और अपने अपने नेताओं के लिए समर्थकों ने लॉबिंग करना शुरू कर दिया है, नारेबाजी की जा रही है| हालाँकि यह विधायक दल की बैठक के बाद तय होगा| वहीं सूत्रों से आ रही खबरों के मुताबिक कमलनाथ को सीएम बनाये जाने की चर्चा है|   

राज्य में कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री के लिए चेहरा घोषित नहीं किया था। इसे लेकर भाजपा ने कई बार कांग्रेस को घेरा। कई बड़े नेता तंज कसते हुए कह चुके हैं कि कांग्रेस बिन दुल्हे की बारात है या फिर कई दुल्हों वाली बारात है। अब जब कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है तो मुख्यमंत्री कौन होगा इसकी चर्चा तेज हैं और इसका फैसला भी जल्द होना है| नए मुख्यमंत्री कल सपथ ले सकते हैं| कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने बुधवार शाम चार बजे विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमे सभी जीते हुए प्रत्याशी शामिल होंगे| वहीं निर्दलीय जीते हुए प्रत्याशी भी इस बैठक में शामिल होंगे| इस बैठक में मुख्यमंत्री कौन होगा इस प्रस्ताव पर सहमति होगी| 

ऐसे में अब राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर अटकलें लगने लगी हैं। चुनाव के पहले से कमलनाथ के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं, वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। कई कांग्रेस विधायक अपनी सीट छोड़ने के लिए भी तैयार हैं|  कांग्रेस के पास इन दो चेहरों के साथ ही दिग्विजय सिंह भी इस दौड़ में शामिल हैं। हालांकि वह पहले इससे इंकार कर चुके हैं| पूरे चुनाव में सिंधिया और कमलनाथ ही दमदार दावेदार रहे हैं, इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के समय भी दोनों ही नेता के नाम चर्चा में थे और कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया| अब एक बार फिर दोनों आमने सामने हैं| कमलनाथ अनुभवी तो सिंधिया ऊर्जावान नेता हैं और युवाओं का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। शाही परिवार से होने के चलते उनका एक ग्लैमर भी है, हालाँकि बीजेपी इसी को मुद्दा बनाकर उन्हें घेरती आई है| 

कमलनाथ : कमलनाथ एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और संगठन क्षमता में माहिर माने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थीं जिन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता पहुँचाने में कमलनाथ की अहम् भूमिका रही है|  1980 में पहली बार सांसद बने। आठ बार से छिंदवाड़ा से सांसद हैं। हवाला केस में नाम आने के कारण मई 1996 के आम चुनाव में कमलनाथ चुनाव नहीं लड़ सके। इस हालत में कांग्रेस ने कमलनाथ की पत्नी अलका कमलनाथ को टिकट दिया जो विजयी रहीं। वहीं 1997 के फरवरी में हुए उप चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से 37,680 वोटों से हार गए। कमलनाथ पहली बार 1991 में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने। वे कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), केंद्रीय उद्योग मंत्री, परिवहन व सडक़ निर्माण मंत्री, शहरी विकास, संसदीय कार्य मंत्री बने। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया : मध्य प्रदेश की राजनीती में अच्छा खासा दखल रखने वाले सिंधिया परिवार के मुख्य, राजमहल से सम्बन्ध के कारण एक ग्लैमर है| युवा वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है| शुरुआती शिक्षा बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में हुई। उसके बाद दून स्कूल चले गए। उच्च शिक्षा हार्वर्ड से स्नातक की डिग्री ली। स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। अमरीका में साढ़े सात साल रहे और नौकरी की। पिता की विमान हादसे में निधन के बाद राजनीति में आए।  पहली बार गुना से 2002 में सांसद बने। इसके बाद से लगातार चार बार से सांसद हैं। 2012 में कांग्रेस सरकार में केंद्र में मंत्री बने और 2014 तक रहे। बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं। जबकि यशोधरा राजे मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। राहुल गांधी के भरोसेमंद हैं और प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में भूमिका निभाने को तैयार हैं। 

दिग्विजय सिंह: कांग्रेस के चाणक्य हैं। उन्होंने प्रदेश पर एक दशक तक हुकूमत की है। वह प्रदेश की सियासत की हर नब्ज से वाकिफ हैं। कुछ हल्कों में अभी भी उनका नाम सीएम की दौड़ में शामिल है। हालांकि वह इस दौड़ में खुद को शामिल नहीं मानते हैं। वह अपने परिवार के तीन सदस्यों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इससे जाहिर होता है पार्टी में उनका कद अभी घटा नहीं है। उन्होंने बागियोंं और नाराज नेताओं को मनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। 

इसके अलावा कोई विशेष स्तिथि बनती है तो अजय सिंह, अरुण यादव, जीतू पटवारी का नाम भी सीएम की रेस में है| 


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