World Elephant Day 2024 : क्यों मनाया जाता है विश्व हाथी दिवस, जानिए उद्देश्य और इस साल की थीम

आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 'इस दिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं कि हाथियों को एक अनुकूल आवास मिले जहां वे पनप सकें। भारत में हमारे लिए हाथी हमारी संस्कृति और इतिहास से भी जुड़ा हुआ है और यह ख़ुशी की बात है कि पिछले कुछ वर्षों में, उनकी संख्या बढ़ रही है।'

World Elephant Day 2024 : आज विश्व हाथी दिवस है। हर साल 12 अगस्त को ये मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में हाथियों की घटती संख्या और उनके अस्तित्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन विशेष रूप से हाथियों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बचाने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। आज के दिन पीएम मोदी ने हाथियों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक प्रयासों पर बल दिया है और कहा है कि ‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं कि हाथियों को एक अनुकूल आवास मिले जहां वे पनप सकें।’

उद्देश्य और इस साल की थीम

विश्व हाथी दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2012 में हुई थी। हाथियों की घटती संख्या और उनके अस्तित्व को बचाने के लिए इस दिन की स्थापना की गई। इसकी पहल कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रीसिया सिम्स और थाईलैंड की एलीफैंट रिइन्ट्रोडक्शन फाउंडेशन के सहयोग से हुई थी और इसके बाद से ये दिन वैश्विक स्तर पर हाथियों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और उनकी घटती संख्या पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। हर साल विश्व हाथी दिवस की थीम होती है इस इस बार की थीम है ‘प्रागैतिहासिक सौंदर्य, धार्मिक प्रासंगिकता और पर्यावरणीय महत्व का मानवीकरण’।

प्राकृतिक धरोहर को संजोने की आवश्यकता

हाथी बहुत ही समझदार और संवेदनशील प्राणी हैं। उनकी याददाश्त बहुत तेज़ होती है और वे प्यार, दुःख और दुख जैसी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं। विश्व हाथी दिवस पर हाथियों की घटती संख्या, अवैध शिकार और उनके आवास की क्षति के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की जाती है। इसके साथ यह दिवस हाथियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है। विश्व हाथी दिवस न केवल हाथियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह हमें हमारी प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करता है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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