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Wed, Dec 17, 2025

विश्व अंगदान दिवस: मृत्यु के बाद भी जीवन का नया अवसर, सीएम डॉ. मोहन यादव ने किया अंगदान के संकल्प का आह्वान

Written by:Shruty Kushwaha
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मरने के बाद हम सिर्फ अपनों की यादों में ही नहीं, किसी और के शरीर में भी जीवित रह सकते हैं। अंगदान वो तरीका है जिससे हम अपने बाद किसी को जीवन का उपहार दे सकते हैं। जीवन देने से बड़ा पुण्य कुछ नहीं होता इसलिए हमें भी इसे लेकर अपनी हिचक को तोड़ अंगदान का संकल्प लेना चाहिए। यह निर्णय किसी की जिंदगी में नई सुबह ला सकता है और उसके परिवार को खुशियों की सौगात दे सकता है।
विश्व अंगदान दिवस: मृत्यु के बाद भी जीवन का नया अवसर, सीएम डॉ. मोहन यादव ने किया अंगदान के संकल्प का आह्वान

आज विश्व अंगदान दिवस है। हर साल 13 अगस्त को ये दिन अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और इसे प्रोत्साहित करने के उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। इससे समाज को यह संदेश मिलता है कि अंगदान के माध्यम से किसी जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन को बचाया जा सकता है। यह मानवता की सेवा का एक अनूठा तरीका है, जो मृत्यु के बाद भी जीवन को एक नया अवसर प्रदान करता है।

आज के दिन सीएम मोहन यादव ने लोगों से इसका संकल्प लेने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि ‘अंगदान, जीवनदान है। अंगदान का निर्णय किसी जरूरतमंद के जीवन की नई सुबह बन सकती है। विश्व अंगदान दिवस मानवता की सेवा के सर्वोच्च माध्यम से जुड़ाव के लिए प्रेरित करता है। आइए, हम इस पुनीत कार्य हेतु समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता के विस्तार का संकल्प लें।’

अंगदान का इतिहास

अंगदान और ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इतिहास आधुनिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहला सफल अंग प्रत्यारोपण 1954 में हुआ, जब अमेरिका के बोस्टन में डॉ. जोसेफ मरे और उनकी टीम ने एक जीवित डोनर से किडनी ट्रांस्प्लांट किया। यह ट्रांसप्लांट रोनाल्ड हेरिक से उनके जुड़वां भाई रिचर्ड हेरिक को किया गया था। इस सफलता ने चिकित्सा जगत में एक नया युग शुरू किया और 1990 में डॉ. मरे को इस योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इसके बाद 1967 में दक्षिण अफ्रीका के डॉ. क्रिस्टियान बर्नार्ड ने पहला हृदय प्रत्यारोपण किया जो चिकित्सा विज्ञान की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। हालांकि शुरुआती प्रत्यारोपणों में रिजेक्शन की समस्या थी, लेकिन 1980 के दशक में एडवांस दवाओं की खोज ने अंग प्रत्यारोपण को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाया।

क्यों जरूरी है अंगदान

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में हर साल लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में होते हैं लेकिन अंगों की कमी के कारण कई लोगों की मृत्यु हो जाती है। भारत में अंगदान की दर अभी भी बहुत कम है। नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल लगभग 5 लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन सिर्फ बहुत कम संख्या में लोग अंगदान करते हैं। हमारे यहां अंगदान की कम दर के पीछे कई कारण हैं जिनमें जागरूकता की कमी, धार्मिक और सांस्कृतिक भ्रांतियां और जटिल कानूनी प्रक्रिया भी शामिल हैं।सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं और NOTTO ने हाल ही में एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू की है जिसके माध्यम से लोग अंगदान से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अंगदान बेहद नेक काम है और इसके ज़रिए हम अपनी मृत्यु के बाद भी किसी और के शरीर में जीवित रह सकते हैं। ये दिन हमें याद दिलाता है कि हम जीवनभर अच्छे काम करने के बाद मृत्यु के साथ भी अंगदान करके एक बड़ा पुण्य कमा सकते हैं और किसी और को इससे जीवन का सुंदर उपहार मिल सकता है। आज का दिन प्रेरित करता है कि हम स्वयं भी अंगदान का संकल्प लें और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें।