World Press Freedom Day: लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को समर्पित दिन, जानिए ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ का उद्देश्य और महत्व

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के योगदान को सम्मान देने का अवसर है। यह हमें याद दिलाता है कि एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस के बिना लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा संभव नहीं है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य न सिर्फ मीडिया की उपलब्धियों को उजागर करना है, बल्कि इसके सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना भी है।

World Press Freedom Day : आज ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ है। हर साल 3 मई को ये दिन प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लोकतंत्र में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ये दिन सरकारों, संगठनों और नागरिकों को प्रेस स्वतंत्रता के महत्व और इसके सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है। हर सुबह अखबार पढ़ना या टीवी पर समाचार देखना

भारत में मीडिया को  लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है क्योंकि प्रेस या मीडिया लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ठीक उसी तरह जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका ये लोकतंत्र के तीन अन्य स्तंभ माने जाते हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस सिर्फ पत्रकारों का दिन नहीं है, बल्कि यह हम सभी का दिन है जो सत्य जानने का अधिकार रखते हैं। हर सुबह अखबार पढ़ना या टीवी पर समाचार देखना एक सामान्य आदत है और यही वजह है कि ये दिन सिर्फ पत्रकारों के लिए ही नहीं, हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। यह निर्णय 1991 में यूनेस्को (UNESCO) की एक पहल पर आधारित था जब अफ्रीकी पत्रकारों ने ‘विंडहोक घोषणा’ (Windhoek Declaration) को अपनाया। यह घोषणा 3 मई, 1991 को नामीबिया के विंडहोक शहर में आयोजित एक सेमिनार में स्वीकारी गई थी जिसमें स्वतंत्र और बहुलवादी प्रेस के विकास पर जोर दिया गया। इस घोषणा ने प्रेस स्वतंत्रता को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी और इसे लोकतंत्र का आधार माना गया। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को प्रेस स्वतंत्रता के सिद्धांतों को प्रोत्साहित करने और विश्व भर में पत्रकारों पर होने वाले हमलों, सेंसरशिप और दमन की स्थिति का आकलन करने के लिए चुना। तब से हर साल 3 मई को यह दिन मनाया जाता है।

इस दिन का उद्देश्य

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के प्रमुख उद्देश्यों में सबसे पहले है प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना। ये सुनिश्चित करना कि पत्रकार बिना किसी डर, दबाव या सेंसरशिप के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। साथ ही पत्रकारों पर हमलों, हिंसा और उत्पीड़न को रोकना और उनकी सुरक्षा के लिए नीतियां बनाना भी प्रमुख उद्देश्य है। स्वतंत्र प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। यह सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है और नागरिकों को सूचित रखता है। प्रेस स्वतंत्रता के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे सेंसरशिप, फर्जी खबरें, और डिजिटल हमलों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और विश्वसनीय और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देना बेहद महत्वपूर्ण है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का महत्व

स्वतंत्र प्रेस के बिना लोकतंत्र अधूरा है। यह सरकारों और शक्तिशाली संस्थाओं पर नजर रखता है और जनता को सच्चाई से अवगत कराता है। प्रेस स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है जो संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार घोषणा पत्र (अनुच्छेद 19) में शामिल है। पत्रकारिता सामाजिक मुद्दों जैसे भ्रष्टाचार, असमानता, राजनीतिक स्थितियों और पर्यावरणीय संकट सहित कई मुद्दों के बारे में बात करती है, उनका सच उजागर करती है जिससे समाज में बदलाव आता है।


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News