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Wed, Dec 17, 2025

विश्व संस्कृत दिवस: ज्ञान, संस्कृति और विरासत का पर्व, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी शुभकामनाएं

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
विश्व संस्कृत दिवस सिर्फ एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि यह हमारी संस्कृतिक विरासत का सम्मान है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि संस्कृत एक प्राचीन भाषा होने के साथ ज्ञान, संस्कृति और विज्ञान का जीवंत स्रोत भी है। विश्व संस्कृत दिवस पर अनेक विश्वविद्यालयों और संस्थानों में सेमिनार, कार्यशालाएं, प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं ताकि युवा पीढ़ी संस्कृत सीखने और समझने के लिए प्रेरित हो सकें।
विश्व संस्कृत दिवस: ज्ञान, संस्कृति और विरासत का पर्व, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी शुभकामनाएं

आज विश्व संस्कृत दिवस है। यह दिन संस्कृत भाषा की समृद्ध विरासत, सांस्कृतिक महत्व और वैश्विक योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। भारत में संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा की आधारशिला माना जाता है। संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन और शास्त्रीय भाषाओं में से एक है और यह उत्सव समस्त विश्व में उसके वैज्ञानिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है।

आज के दिन सीएम मोहन यादव ने शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘विश्व संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। देवभाषा संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है, इसमें लोकहित, संपूर्ण जगत के मंगल व कल्याण की पवित्र भाव निहित है। संस्कृत भाषा की शाश्वत विरासत को समर्पित यह अवसर प्रेरणा देता है कि इसके संरक्षण व संवर्धन के प्रयासों में हम सभी सहभागी बनें।’

क्यों मनाया जाता है विश्व संस्कृत दिवस 

विश्व संस्कृत दिवस संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके संरक्षण, प्रचार और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है। यह दिन संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों, साहित्य, दर्शन और विज्ञान के महत्व को रेखांकित करता है। संस्कृत को भारत की शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह वेदों, उपनिषदों, पुराणों, महाभारत, रामायण और अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों की भाषा है।

विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास

विश्व संस्कृत दिवस की शुरुआत भारत सरकार द्वारा 1969 में की गई थी। यह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसी दिन रक्षाबंधन पर्व भी मनाया जाता है। संस्कृत दिवस की परंपरा संस्कृत विद्वानों और शिक्षकों को सम्मान देने के साथ-साथ इस भाषा के अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई थी। हाल के वर्षों में..यह दिन वैश्विक स्तर पर भी लोकप्रिय हो गया है जिसमें विश्वविद्यालयों, सांस्कृतिक संगठनों और विद्वानों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इस दिन का उद्देश्य और महत्व

संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, जिसका इतिहास कम से कम 3500 वर्ष पुराना माना जाता है। इसका सबसे प्राचीन रूप वैदिक संस्कृत है, जो ऋग्वेद (लगभग 1500-1200 ईसा पूर्व) में देखा जा सकता है। बाद में, पाणिनि ने अपनी कृति अष्टाध्यायी में संस्कृत व्याकरण को व्यवस्थित किया जिसे विश्व का पहला औपचारिक व्याकरण माना जाता है। यह भाषा न सिर्फ भारत में, बल्कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव का माध्यम रही है। विश्व संस्कृत दिवस का उद्देश्य इस प्राचीन भाषा को जीवित रखना और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। ये संस्कृत साहित्य का प्रचार, शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और सांस्कृतिक एकता का पर्व है।