World Soil Day : अपनी मिट्टी से जुड़ने का दिन, जानिए विश्व मृदा दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम

आज का दिन हमें याद दिलाता है कि ये सिर्फ मिट्टी का एक ढेर नहीं है, बल्कि यह हमारी पूरी खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक संतुलन का आधार है। इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने आज के दिन आह्वान किया है कि धरती की सेवा कीजिये, पोषित कीजिये और घातक रसायनों एवं पॉलीथीन से भी इसे बचाइये। इस तरह  मिट्टी का संरक्षण और इसे पुनर्जीवित करने के लिए सहयोग कर हम आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित बना सकते हैं।

Shruty Kushwaha
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World Soil Day : आज विश्व मृदा दिवस है। हर साल 5 दिसंबर को ये दिन मृदा यानी मिट्टी के महत्व को समझाने और इसके टिकाऊ प्रबंधन के प्रति जागरूकता के उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। हमारे ग्रह और मानवता का अस्तित्व मिट्टी के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। हमारी भोजन का 95% से अधिक हिस्सा मिट्टी से आता है। जो पौधों को बढ़ने के लिए आवश्यक 18 में से 15 प्राकृतिक रासायनिक तत्व भी मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इसीलिए हमें इस ‘मिट्टी’ की देखभाल और संरक्षण करने की अत्यधिक आवश्यकता है।

स्वस्थ मृदा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने, जैव विविधता को बनाए रखने और स्वच्छ जल उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के कारण मिट्टी का तेजी से क्षरण हो रहा है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता प्रभावित हो रही है। आज के दिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने मिट्टी को संरक्षित करने का आह्वान करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘स्वस्थ मृदा समृद्ध वसुंधरा स्वस्थ मिट्टी हो; तो धरा की न केवल उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी, बल्कि मानव का स्वास्थ्य भी उत्तम होगा। धरती की सेवा कीजिये, पोषित कीजिये और घातक रसायनों एवं पॉलीथीन से भी इसे बचाइये। हमारी धरा स्वस्थ और समृद्ध हो, “विश्व मृदा दिवस” पर हम सब यही प्रण करें।’

World Soil Day: उद्देश्य और महत्व

विश्व मृदा दिवस  मनाने का उद्देश्य मृदा (मिट्टी) की अहमियत को पहचानना और इसके सतत उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देना है। मिट्टी हमारी खाद्य आपूर्ति, पर्यावरणीय स्थिरता और जैव विविधता का आधार है। मिट्टी हमारे भोजन का आधार है और वैश्विक खाद्य उत्पादन का 95% हिस्सा मृदा से आता है। वहीं पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी इसता महत्व है। मृदा पानी को शुद्ध करने, पौधों को पोषण देने और कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration) के जरिए जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करती है। वहीं, इससे जैव विविधता का संरक्षण होता है क्योंकि मृदा लाखों जीवों का घर है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह दिन स्वस्थ मृदा को बचाने के लिए वैश्विक जागरूकता फैलाने और टिकाऊ मृदा प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर देता है।

विश्व मृदा दिवस का इतिहास और इस साल की थीम

विश्व मृदा दिवस की शुरुआत वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने की थी। बाद में, थाईलैंड साम्राज्य और संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के प्रयासों से इसे 2013 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। पहला विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया। बात कें इस साल की तो इस बार विश्व मृदा दिवस की थीम है ‘मिट्टी की देखभाल: माप, निगरानी और प्रबंधन’। यह अभियान टिकाऊ मृदा प्रबंधन के लिए सटीक मृदा डेटा और जानकारी की आवश्यकता पर जोर देता है। इस साल का विषय हमें सिखाता है कि मिट्टी के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता हैं। सटीक माप और निगरानी के माध्यम से मिट्टी की समस्याओं को समझा जा सकता है और टिकाऊ प्रबंधन के जरिए उसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। यह सिर्फ पर्यावरणीय स्थिरता के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए भी आवश्यक है।

कैसे करें अपनी मिट्टी का संरक्षण

मिट्टी का कटाव प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ता है। यह पानी की घुसपैठ और भंडारण क्षमता को घटा देता है, जिससे पानी की उपलब्धता और खाद्य पोषण घटने लगता है। पोषक तत्वों और विटामिन की कमी, मिट्टी के क्षरण का सीधा प्रभाव है। इस संकट से निपटने के लिए सस्टेनेबल सॉइल मैनेजमेंट यानी टिकाऊ मृदा प्रबंधन को अपनाना अनिवार्य हो गया है। मिट्टी की रक्षा और उसकी उर्वरता बनाए रखने के लिए निम्न उपाय प्रभावी हैं:

न्यूनतम जुताई: मिट्टी को अधिक तोड़ने से बचाना।
फसल चक्रण: अलग-अलग फसलें उगाकर मिट्टी को पोषण देना।
जैविक पदार्थ जोड़ना: कंपोस्ट और अन्य प्राकृतिक खादों का उपयोग।
कवर क्रॉप्स: जमीन को ढकने वाली फसलें उगाना।

मृदा संरक्षण के लिए सस्टेनेबल कृषि पद्धतियां जैसे फसल चक्रण, जैविक पदार्थों का उपयोग और न्यूनतम जुताई, मिट्टी के कटाव को कम करके उसकी उर्वरता को बढ़ाने में सहायक होती हैं। विश्व मृदा दिवस हमें याद दिलाता है कि हम सब अपने स्तर पर अपनी मिट्टी को बचाने के लिए प्रयास कर सकते हैं, ताकि ये धरती आने वाले समय और पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सके।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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