ईयरफोन-हेडफोन यूजर्स सावधान! स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी चेतावनी, बढ़ सकता है बहरेपन का खतरा

Earphone-Headphone Side Effects: आज के डिजिटल युग में ईयरफोन और हेडफोन का इस्तेमाल हर उम्र के लोग करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा तेज आवाज़ में लंबे समय तक इन्हें इस्तेमाल करना आपके सुनने की क्षमता पर बुरा असर डाल सकता है? स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर बड़ा अलर्ट जारी किया है।

Bhawna Choubey
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अब उन लोगों को सावधान होने की ज़रूरत है जो लोग कान में घंटों घंटों ईयरफोन और हेडफोन लगाए रहते हैं। क्योंकि ऐसे में आप बहुत जल्दी बहरे हो सकते हैं, ये बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर अब चेतावनी दे दी है। ख़ासतौर पर यह चेतावनी युवाओं के लिए हैं, कहीं न कहीं ज़रूरी भी है क्योंकि आजकल जिस तरह देखा जाता है कि हर एक युवा हर समय कानों में ईयर फ़ोन, हेडफोन या फिर ईयर बड्स लगाए पाया जाता है। इन चीज़ों का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा युवा वर्ग करता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस विषय में चेतावनी जताते हुए लेटर जारी किया है। हेल्थ मिनिस्ट्री ने राज्यों और मेडिकल कॉलेजों से जागरूकता फैलाने के लिए कहा गया है, उन लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है जो लंबे समय तक इन चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह आदत सुनने की क्षमता को कम कर सकती है, साथ ही साथ युवाओं को कम उम्र में ही बहरा बना सकती हैं।

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बहरेपन का खतरा (Earphone-Headphone Users Beware)

इसके अलावा डायरेक्टर जनरल ऑफ़ हेल्थ सर्विस प्रोफ़ेसर डॉक्टर अतुल गोयल के अनुसार, तेज़ आवाज़ में कुछ भी नहीं सुनना चाहिए, अगर आपको ज़्यादा देर तक हेडफोन, ईयर फ़ोन या फिर बड्स का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, तो ऐसी सिचुएशन में ब्रेक लेने की कोशिश करें।

यह समस्या साधारण नहीं बल्कि आगे चलकर बड़ी समस्या पैदा कर सकती है, साथ ही साथ उन्होंने कहा 50 डेसीबल से अधिक आवाज़ वाले ऑडियो गैजेट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, रोज़ाना ज़्यादा से ज़्यादा दो घंटे ही ईयर फ़ोन या हेडफोन का इस्तेमाल करें, इसमें भी बीच बीच में ब्रेक लेने की कोशिश करें।

बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर क्या कहा?

प्रोफ़ेसर गोयल के बच्चों को लेकर भी चिंता जतायी है, उन्होंने बताया कि किस तरह आजकल बच्चे हद से ज़्यादा स्क्रीन दिखने लगे हैं, लगातार मोबाइल चलाने सी बच्चों का दिमाग़ अच्छे से विकसित नहीं हो पा रहा है, बच्चों ने सोशल इंटरेक्शन करना बंद कर दिया है, बच्चे अब सिर्फ़ चार दिवार के अंदर मोबाइल चलाना ज़्यादा पसंद करते हैं।

लेटर में क्या कहा गया है?

DGHS के लेटर में ऐसा कहा गया है, कि अब इन समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना चाहिए, इन आदतों के ऊपर अगर अभी से ध्यान दिया जाए, तो हम ख़ुद की रक्षा आसानी से कर पाएंगे। लगातार लंबे समय तक ईयर फ़ोन यह हेडफोन का इस्तेमाल करने से ना सिर्फ़ सुनने की क्षमता कम होती है, बल्कि कम उम्र में बहरे होने का ख़तरा भी बढ़ता है।

ख़ासतौर पर युवा वर्ग को सतर्क रहने की आवश्यकता है, अगर जीवन में एक बार सुनने की समस्या पैदा हो गई, तो फिर उसे ठीक कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। अभी आप ईयर फ़ोन और हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं, फिर कुछ समय बाद आपको लोगों की साधारण बातों को सुनने के लिए भी डॉक्टर के बताए गए उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। इसलिए अभी समय है, अपनी इस आदत को जितना जल्दी हो सके बदल लें, क्योंकि बाद में पछतावा ही हाथों में रहेगा।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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