क्या आप भी सेंधा और काले नमक को समझते हैं बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंद? यहां जानें सही जानकारी

Health: क्या आप भी सोचते हैं कि सेंधा नमक बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है? यह एक आम धारणा है, लेकिन क्या यह सच है? सेंधा नमक को लेकर अक्सर कई मिथक फैले हुए हैं, जो लोगों को भ्रमित करते हैं।

भावना चौबे
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Health: खाने का असली स्वाद नमक के बिना अधूरा है और यह हमारी सेहत के लिए भी जरूरी है। हालांकि, खासतौर पर हाई बीपी के मरीजों को नमक की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है। आपने भी अपने घर में अक्सर बड़े बुजुर्गों को या फिर किसी न किसी को यह कहते सुना होगा कि अरे तुम्हें ब्लड प्रेशर की दिक्कत है, तुम्हें नमक कम खाना चाहिए।

अक्सर लोग मानते हैं कि सफेद नमक के बजाय काला नमक या सेंधा नमक का सेवन सेहत के लिए बेहतर होता है, यही कारण है कि आजकल लोग अपने घर में सफेद नमक की बजाय सेंधा नमक या फिर काले नमक का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं। सेंधा नमक और काला नमक में मिनरल और अन्य तत्व मौजूद होते हैं, जो कुछ मामलों में लाभदायक हो सकते हैं। हालांकि, बीपी मरीजों को किसी भी तरह का नमक नियंत्रित मात्रा में ही लेना चाहिए।

सेंधा और काले नमक का बीपी पर असर

हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि काले या सेंधा नमक को ब्लड प्रेशर के लिए फायदेमंद मानना एक गलत धारणा है। सफेद और काले नमक में सोडियम की मात्रा लगभग एक जैसी होती है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती है।

सफेद नमक में आयोडीन होता है लेकिन काले नमक में नहीं होता है। हालांकि, दोनों में सोडियम की मात्रा समान रहती है, जो बीपी के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए बीपी के मरीजों को यह समझना बहुत जरूरी है कि नमक का सेवन किसी भी प्रकार से ज्यादा नहीं करना चाहिए।

बीपी के मरीजों को दिन में कितना नमक खाना चाहिए?

अब सवाल यह उठता है कि बिना नमक के तो खाना बेस्वाद लगेगा, इसलिए खाना स्वादिष्ट बनाने के लिए और खाने का स्वाद लेने के लिए नमक तो आवश्यक है, तो ऐसे में बीपी के मरीजों को आखिर दिन में कितना नमक खाना चाहिए। बीपी के मरीजों के लिए दिन में 5 ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए।

यह मात्रा सीमित रखने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। अगर इसे और काम करके 2.5 ग्राम तक किया जाए तो यह और बेहतर होगा। ज्यादा नमक खाने से बीपी बढ़ सकता है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए बीपी के मरीजों को नमक के सेवन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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