Philophobia : प्यार से डरने की बीमारी है फिलोफोबिया, जानिए लक्षण और कारण

Psychology of love

Philophobia : हम सब प्यार करते हैं या करना चाहते हैं। प्यार पाना चाहते हैं। ये ऐसी शै है जिसके बिना ज़िंदगी सूनी है। ये इतना खूबसूरत भावना है है जो हमें जीने के नए मायने दे देती है। इसीलिए कहते हैं कि जिसके पास प्यार है वो बेहद खुशनसीब है। लेकिन हर किसी के साथ ऐसा हो जरुरी नहीं। कई लोगों को वैसा प्यार नहींं मिल पाता, जैसा वो चाहते हैं। और कई लोग ऐसे भी होते हैं जो प्यार से ही डरते हैं। आपको शायद ये बात थोड़ी अजीब लगे, लेकिन ये एक तरह की दिमागी बीमारी है जिसमें लोग प्यार से डरते हैं।

क्या है फिलोफोबिया

प्यार से डरने के रोग को मेडिकल भाषा में फिलोफोबिया (Philophobia) कहते हैं। ये ग्रीक शब्द फिलो और फोबिया से मिलकर बना है। फिलो का अर्थ होता है प्यार और फोबिया मतलब किसी चीज का भय। ये ऐसी समस्या है जिसमें पीड़ित शख्स को किसी और के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने में डर लगता है। ऐसे लोगों को प्यार के बारे में सोचकर डर महसूस होता है। इस दौरान अलग अलग लोगों में अलग तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। किसी की धड़कनें बढ़ जाती है, जी मिचलाने लगता है और कुछ लोगों का तो पेट भी खराब हो जाता है। उन्हें बहुत ज्यादा पसीना आने लगता है, घबराहट होती है और सांस लेने में कठिनाई भी होने लगती है।

पिछले अनुभव या बुरी स्मृति हो सकती है कारण

फिलोफोबिया से ग्रसित लोग बहुत अधिक सामाजिक संपर्क से बचते हैं। ये किसी शादी या ऐसे समारोहों में जाने से कतराते हैं। प्यार से संबंधित किसी भी चीज से खुद को दूर रखते हैं और ऐसी फिल्मों या स्थानों पर भी जाना पसंद नहीं करते। मनोवैज्ञानिक इसके पीछे कई कारण बताते हैं। कई बार बचपन की किसी बुरी याद या अनुभव के कारण ऐसा हो सकता है। वहीं प्यार में धोखा मिलने या किसी तरह की चोट खाने पर भी व्यक्ति इस समस्या का शिकार हो सकता है। अतीत का कोई बुरा अनुभव भी इसका कारण हो सकता है। ऐसे लोग किसी तरह की दर्दनाक घटना, दुख या दुश्चिंता से घिरे होते हैं और इसीलिए खुद को प्यार से दूर रखने में ही सुरक्षित महसूस करते हैं। ऐसे लोगों के अवसाद में पड़ने की गुंजाइश भी अधिक होती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे लोगों के साथ शांति और सहानुभूति से बात करनी चािहए और धीरे धीरे उनके मन के भय के बारे में बात करने और उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन अगर समस्या गंभीर हो तो किसी चिकित्सक या एक्सपर्ट की सलाह लेना जरुरी है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख अलग अलग स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर किसी तरह का दावा नहीं करते हैं। )


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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