नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। जैस जैसे तकनीक का विस्तार हो रहा है हमारे लिए सुविधाएं बढ़ती जा रही है। लेकिन हर बात के दो पक्ष होते हैं और लगातार ये बात भी सामने आई है कि तकनीकी विकास के कारण कई बार तनाव और बीमारियां भी पनप सकती है। एक बार फिर रिसर्च में यही बात सिद्ध हुई है। सोशल मीडिया के अधिक उपयोग और विशेषकर लगातार टिकटॉक वीडियो (Tiktok) देखने वाली लड़कियों में किशोरावस्था में ही टिक डिसऑर्डर (TIC Disorder) जिसे Tourette Syndrome भी कहते हैं, बढ़ रहा है।
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द वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान यह डिसऑर्डर लड़कियों में तेजी से बढ़ा है। TIC डिसऑर्डर में लोग अचानक हिलने-डुलने लगते हैं या कोई आवाज करते हैं। ये बार बार ऐसा करते हैं और खुद को इन चीजों को करने से रोक नहीं पाते। इसी के साथ इनमें तनाव, उलझन, चिंता जैसी बीमारियां भी उनमें देखी गई हैं। कई मेडिकल जर्नल ने इस बारे में आर्टिकल लिखे गए हैं और इसमें ये बात सामने आई है जो किशोर लड़कियां टिकटॉक पर ऐसे वीडियो देख रही हैं, वो इस बीमारी से अधिक पीड़ित हो रही हैं।
जर्मनी के डॉ. क्रिस्टेन मिलर करीब 25 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं और उनके अनुसार वर्तमान समय में युवा और किशोरावस्था में लड़कियों में टिक डिसऑर्डर बढ़ा है। वे बताते हैं कि जिनमें ये डिसऑर्डर होता है, उनके अपने टिक्स होते हैं। वहीं इसे लेकर की गई शोध की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीमारी का डाटा राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय तौर पर संकलित नहीं किया गया है। लेकिन ये देखा जा रहा है कि कई अस्पतालों में इस बीमारी के 10 गुना अधिक मरीज आ रहे हैं मतलब बीमारी में 10 गुना इजाफा हुआ है। कोरोना महामारी से पहले जहां ऐसे एक से दो केस सामने आते थे वहीं अब अब इनकी संख्या 10 से 20 हो गई है। जिन डॉक्टरों के पास ऐसे केस आए हैं उनका कहना है कि ऐसे किशोप पहले अवसाद, तनाव या चिंता से ग्रसित हुए उसके बाद स्थिति बिगड़ती गई और उन्हें टिक डिसऑर्डर हो गया।