अल्बाइनिज्म से ग्रसित लोगों की पहचान आसानी से हो जाती है क्योंकि उसके बाल सफेद, त्वचा पीली या सफेद और आंखों का रंग हल्का नीला, पीला, ब्राउन या ग्रे हो जाता है। अल्बाइनिज्म से पीड़ित लोग रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं।
इसके लक्षणों में शामिल है –
- अपवर्तक समस्याएं (refractive problems) जैसे दूर (hypersopia) और निकट दृष्टि दोष (myopia) या
- एस्टिग्मेटिज्म (astigmatism)
- निस्टेग्मस (nystagmus) – इसमें व्यक्ति का अपनी आंखो पर नियंत्रण नहीं रहता है
- बहंगापन (strabismus)
- फोटोफोबिया (photophobia), तेज रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशीलता होना
इसके प्रति जागरूक होना क्यों जरुरी?
अल्बाइनिज्म से ग्रसित लोगों को शारीरिक एवं सामाजिक कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मेलेनिन की कमी से त्वचा कैंसर (Skin Cancer) होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा, समाज में इससे जुड़े लोग भेदभाव का शिकार भी हो जाते है। इसका सीधा कारण इसके प्रति कम जागरूक होना है। जागरूकता की कमी के कारण, अल्बाइनिज्म से पीड़ित लोगों को सामाजिक रूप से बहुत कुछ झेलना पड़ता है और विकलांगता के आधार पर भेदभाव के एक नहीं बल्कि कई रूपों का सामना करना पड़ता है।
अंतर्राष्ट्रीय अल्बाइनिज्म जागरूकता दिवस का संक्षिप्त इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय अल्बाइनिज्म जागरूकता दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर, 2014 को की थी, जहां यह निर्णय लिया गया था कि प्रतिवर्ष 13 जून को अंतर्राष्ट्रीय अल्बाइनिज्म जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इसे पहली बार 2015 में मनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने यह फैसला अल्बाइनिज्म वाले लोगों के खिलाफ भेदभाव की रोकथाम के लिए लिया गया था।
इस साल की थीम
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय अल्बाइनिज्म जागरूकता दिवस (International Albinism Awareness Day) का विषय “हमारी आवाज सुनने में एकजुट (United in making our voice heard)” है। इस थीम का चयन अल्बाइनिज्म से ग्रसित लोगों के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं की आवाज और उनके द्वारा किए गए कार्यों को उजागर करने के लिए किया गया है।