Smiling depression : “तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो..क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो” ये गज़ल हमने कई बार सुनी होगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि वाकई में ये एक मेडिकल कंडीशन भी है। हम बात कर रहे हैं ‘स्माइलिंग डिप्रेशन’ की। हममें से कई लोग इस बारे में शायद अनभिज्ञ हों। आज हम इसी बारे में बात करेंगे।
क्या है स्माइलिंग डिप्रेशन
स्माइलिंग डिप्रेशन टर्म का उपयोग डॉक्टर उस स्थिति में करते हैं जब कोई व्यक्ति अपने अवसाद को मुस्कुराहट के पीछे छिपा लेता है या छिपाने की कोशिश करता है। ऐसा व्यक्ति बाहर से तो खुश दिखता है, जबकि वास्तव में वह आंतरिक निराशा, उदासी की भावनाओं और अवसाद से जूझ रहा होता है। चूंकि..ऐसे लोग अपने अवसाद को इतनी अच्छी तरह छुपा सकते हैं और उनका उद्देश्य ही इसे छुपाना होता है इसलिए कई बार वो मेडिकल हेल्प लेने से भी कतराते हैं। लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं होता है, कई लोग इस स्थिति में चिकित्सरीय परामर्श लेते हैं जो बेहद आवश्यक है।
स्माइलिंग डिप्रेशन के लक्षण
हालांकि, स्माइलिंग डिप्रेशन मानसिक विकारों के निदान और सांख्यिकी मैनुअल (DSM-5) में सूचीबद्ध नहीं है लेकिन इसे नॉन-कनफर्मिंग लक्षणों के साथ एक प्रमुख डिप्रेसिव डिसऑर्डर (MDD) माना जाता है। इसके लक्षणों को पहचानना कठिन है, लेकिन ये कुछ लक्षण हैं जो हमें संकेत दे सकते हैं कि सामने वाला व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है।
- वजन में अचानक बदलाव (वजन बढ़ना या कम होना)
- भूख में कमी, खाने के प्रति अरूचि
- सुस्ती या थकान। ऊर्जा की कमी महसूस करना।
- उन चीजों में रुचि खोना, जो पहले करना पसंद थी।
- आशाहीन महसूस करना, हर बार में निराश होना।
- अनिद्रा या सोने में दिक्कत। स्लीपिंग साइकल का गड़बड़ाना।
- एकाग्रता में कमी, मन भटकना।
- नकारात्मक सोच।
डॉक्टर से मिलना जरुरी, इस तरह कर सकते हैं मदद
अलग अलग लोगों में इसके भिन्न लक्षण देखे जा सकते हैं। चूंकि स्माइलिंग डिप्रेशन एक अलग तरह की स्थिति है, इसीलिए इसके संकेत भी क्लासिक डिप्रेशन से अलग होते हैं। लेकिन अगर ऐसा कोई व्यक्ति आपको अपने आसपास नजर आए तो उसकी सहायता के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति से प्रेमपूर्ण व्यवहार करें और कोशिश करें कि वो अपने मन की बात आपसे साझा कर सके। बिना जजमेंटल हुए उसकी बात सुनें और। उसे बाहर लेकर जाएं और उसके उसकी रूचि के काम करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा। सबसे जरुरी बात ये है कि उस व्यक्ति को ये समझाया जाए कि अपनी मनोस्थिति को छिपाने की नहीं, बल्कि उसे ठीक करने की जरुरत है।
उपचार और प्यार..दोनों जरुरी
ऐसे में सबसे बेहतर है चिकित्सकीय परामर्श लेना या किसी एक्सपर्ट से मिलना। पेशेंट को भी अपनी स्थिति को नकारने की बजाय मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट या डॉक्टर के पास जाना बेहद जरुरी है। स्माइलिंग डिप्रेशन से निकलकर रियल स्माइलिंग फेज़ में आने के लिए खुद उस व्यक्ति को अपनी मदद करनी होगी और इसमें उसके आसपास के लोग भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। परिजन, दोस्त या परिचितों के रवैये पर बहुत कुछ निर्भर करता है। बात सिर्फ स्माइलिंग डिप्रेशन की ही नहीं है, बल्कि किसी भी तरह की मानसिक समस्या को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। समय रहते समुचित इलाज और काउंसलिंग से इस तरह की समस्याओं का निदान पूरी तरह संभव है। प्यार और उपचार ऐसे लोगों को फिर जिंदगी में लौटा लाते हैं, इसीलिए दवाओं के साथ ऐसे लोगों को प्रेमिल व्यवहार की भी दरकार होती है।