हिमाचल प्रदेश में शिक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए समग्र शिक्षा परियोजना कार्यालय ने कमजोर विद्यार्थियों को मुख्यधारा में लाने के लिए लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम 2.0 तैयार किया है। शुक्रवार को शिमला में इस मॉड्यूल को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने भाग लिया। उन्होंने मॉड्यूल की समीक्षा करते हुए इसे हिमाचल प्रदेश शिक्षा संकल्प नाम देने का सुझाव दिया। यह नया शिक्षा संकल्प मॉड्यूल शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के लिए पढ़ाई को सरल और प्रभावी बनाने में मार्गदर्शिका का काम करेगा।
लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम 2.0
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने बताया कि हाल ही में हुए राष्ट्रीय सर्वेक्षण परख (NAS) में हिमाचल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। खासकर लड़कियों ने लड़कों से बेहतर परिणाम हासिल किए, वहीं ग्रामीण बच्चों ने भी शहरी छात्रों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया। इसी उपलब्धि को आगे बढ़ाते हुए लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम 2.0 तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम शिक्षा व्यवस्था में समावेशी शिक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
राज्य के सरकारी स्कूलों में लगभग चौथाई विद्यार्थी ऐसे हैं जिन्हें पढ़ाई में अतिरिक्त सहयोग की जरूरत है। इस नई व्यवस्था के तहत इन बच्चों को स्तर अनुसार और समयबद्ध मदद दी जाएगी ताकि वे अन्य छात्रों के बराबर आ सकें। कार्यशाला में बताया गया कि तैयार मॉड्यूल से बच्चों का नियमित मूल्यांकन होगा। इसके लिए स्विफ्ट चैट ऐप और विद्या समीक्षा केंद्र के जरिए निगरानी की जाएगी। शिक्षकों को रेमेडियल बुक्स उपलब्ध कराई जाएंगी और हर विद्यार्थी को उसकी आवश्यकता और स्तर के हिसाब से व्यक्तिगत सहयोग दिया जाएगा।
इस मॉड्यूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे डिजिटल मूल्यांकन के आधार पर तैयार किया गया है। प्रदेश के स्कूलों में करीब 4.14 लाख विद्यार्थियों का आधुनिक तकनीक से मूल्यांकन किया गया। शिक्षकों ने स्विफ्ट चैट ऐप की मदद से ओसीआर शीट्स स्कैन कर डेटा सीधे विद्या समीक्षा केंद्र के रियल टाइम डैशबोर्ड पर अपलोड किया। इससे बच्चों के प्रदर्शन का सटीक विश्लेषण संभव हुआ और शिक्षा अधिकारियों तथा शिक्षकों को समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिली।





