तिब्बत सीमा से सटे गांवों में पलायन रोकने की तैयारी, हिमाचल सरकार बनाएगी विकास योजना

हिमाचल प्रदेश सरकार अब तिब्बत सीमा से सटे इलाकों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए एक व्यापक योजना तैयार कर रही है। इस योजना को अंतिम रूप देकर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार अब तिब्बत सीमा से सटे इलाकों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए एक व्यापक योजना तैयार कर रही है। इस योजना को अंतिम रूप देकर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को सभी मूलभूत सुविधाएं—बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा—प्रदान करने पर विशेष जोर रहेगा। साथ ही, इन इलाकों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा ताकि स्थानीय युवाओं को यहीं रोजगार के अवसर मिल सकें। हाल ही में मुख्यमंत्री ने शिपकिला क्षेत्र में रात्रि प्रवास कर लोगों की समस्याएं सुनी थीं और आश्वासन दिया था कि सरकार सीमा के निकट बसे लोगों के विकास और सुरक्षा दोनों का ख्याल रखेगी।

हिमाचल सरकार बनाएगी विकास योजना

मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने इस मुद्दे पर विभागीय अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में चर्चा हुई कि किन्नौर के पूह, लाहौल-स्पीति के काजा और किन्नौर के पिओ ब्लॉक जैसे इलाके अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे हैं, जहां अब भी सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं की कमी है। यही कारण है कि यहां के लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में मैदानी क्षेत्रों या शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने केंद्र की वाइब्रेंट विलेज योजना (Vibrant Villages Programme) को गति देने का निर्णय लिया है।

इस योजना के तहत सीमावर्ती गांवों में बुनियादी ढांचे और संचार व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। गांवों में 4जी और 5जी टावर स्थापित कर बेहतर मोबाइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जाएगी ताकि इन क्षेत्रों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ा जा सके। राज्य सरकार स्थानीय युवाओं को कृषि, बागवानी, पशुपालन और पर्यटन के क्षेत्र में प्रोत्साहित कर आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इससे सीमांत गांवों में रोजगार सृजन होगा और पलायन पर रोक लगेगी।

सरकार ने सभी विभागों को दिया ये निर्देश

सरकार चाहती है कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन स्थानीय जरूरतों के अनुरूप हो। इसलिए, विकास योजनाओं के निर्माण में स्थानीय लोगों और ग्राम सभाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि सीमांत क्षेत्रों का विकास केवल सुरक्षा दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है। प्रदेश सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि सीमावर्ती इलाकों में चल रही परियोजनाओं की निगरानी और प्रगति रिपोर्ट हर महीने पेश की जाए।

राज्य सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी परिवार सिर्फ सुविधाओं की कमी के कारण अपने गांव न छोड़े। सीमांत इलाकों में पर्यटन, व्यापार और स्थानीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देकर इन्हें ‘वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज’ के रूप में विकसित किया जाएगा। सरकार का यह प्रयास न केवल पलायन को रोकेगा बल्कि सीमावर्ती इलाकों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।


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