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Sun, Dec 7, 2025

21 या 22 अक्टूबर कब की जाएगी गोवर्धन पूजन, यहां जानें सही तारीख, मुहूर्त और महत्व

Written by:Diksha Bhanupriy
दीपावली के दूसरे दिन प्रतिपदा को गोवर्धन पूजन करने की मान्यता बहुत पुरानी है। यह पर्व भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है जब उन्होंने बृजवासियों की रक्षा की थी। चल जान लेते हैं कि इस साल यह पूजन कब की जाने वाली है।
21 या 22 अक्टूबर कब की जाएगी गोवर्धन पूजन, यहां जानें सही तारीख, मुहूर्त और महत्व

Govardhan Puja Katha

आज देश भर में दीपावली का उल्लास छाया हुआ है और इसके दूसरे दिन यानी कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजन (Govardhan puja 2025) का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक लिहाज से इस त्यौहार को बहुत ही खास माना गया है। इसका संबंध भगवान कृष्ण से है क्योंकि इसी दिन कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर बृजवासियों की रक्षा की थी। इस दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजन अर्चन करने की मान्यता है।

इस साल दो अमावस्या तिथि पड़ रही है जिसकी वजह से गोवर्धन पूजन कब करना है इस बात को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि यह 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी तो कुछ लोग इसके 22 अक्टूबर को होने की बात कर रहे हैं। चलिए हम आपका तिथि का कंफ्यूजन दूर कर देते हैं।

गोवर्धन पूजन कब करना सही (Govardhan puja 2025)

शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन पूजन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर की शाम को हो रही है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कोई भी पर्व उदया तिथि में मनाया जाता है। ऐसे में प्रतिपदा 22 अक्टूबर को मान्य रहने वाली है।

जान लीजिए सही समय

पंचांग के मुताबिक कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 21 अक्टूबर को शाम 5:54 से प्रारंभ होगी। इसका समापन 22 अक्टूबर को रात 8:16 पर होगा। ऐसे में इसे 22 अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा।

क्या रहेगा मुहूर्त

प्रातः काल का शुभ मुहूर्त सुबह 6:26 से 8:42 तक रहेगा। पूजन की अवधि एक घंटा 16 मिनट की है। वहीं अगर आपको शाम के समय पूजन करनी है तो दोपहर 3:29 से शाम 5:44 तक शुभ मुहूर्त है। यह अवधि 2 घंटा 16 मिनट की है।

क्या है गोवर्धन पूजन का महत्व

हिंदू धर्म में जितने भी त्यौहार मनाए जाते हैं उन सभी का अपना महत्व है। गोवर्धन पूजन को अन्नकूट के तौर पर भी पहचाना जाता है। इससे जुड़ी जो पौराणिक कथा मिलती है उसके मुताबिक द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से बृजवासियों और वहां रहने वाले पशु पक्षियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। तभी से यह पर्वत पूजनीय है और हर साल स्थिति पर गोवर्धन की पूजन की जाती है। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज को 56 पकवानों का भोग लगाया जाता है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।