भले ही बीजेपी ने इंदौर लोकसभा सीट के प्रत्याशी के तौर पर आईडीए के पूर्व अध्यक्ष शंकर लालवानी के नाम का ऐलान कर दिया, लेकिन इस बार का चुनाव लालवानी के लिए चुनौती से कम नही है। एक तरफ जहां भाजपा नेता विजय मलानी ने निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया है वही दूसरी तरफ तीन अन्य नेताओं ने यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भर दिया है।एक दिन में तीन निर्दलीयों ने नामांकन भरकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी है।खास बात ये है कि इसमें एक सिंधी नेता भी शामिल है। वही कांग्रेस ने पंकज सिंघवी को मैदान में उतारा है।बीजेपी में जहां इससे हड़कंप मचा हुआ है, वही कांग्रेस मे भी हलचल तेज हो गई है।
दरअसल, इंदौर लोकसभा सीट के लिए नामांकन प्रक्रिया सोमवार से प्रारंभ हो गई। जिसके बाद से ही नामांकन भरने वालों की लाइन लगी हुई है। सोमवार को सबसे पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में श्रीकांत शर्मा ने अपना नामांकन पेश किया। शर्मा इससे पहले महू से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ चुके है। देश में सभी को समान अधिकार मिले इस उद्देश्य के साथ वह इस लोकसभा चुनाव में उतरे है।इसके बाद धरती पकड़ नाम से मशहूर परमानंद तोलानी ने अपना नामांकन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पेश किया। तोलानी ने अपना पहला चुनाव 1989 में लड़ा था, तब से अब तक वह 8 बार लोकसभा, 8 बार विधानसभा और एक बार महापौर का चुनाव अर्थात कुल 17 चुनाव लड़ चुके है। वहीं नासिर मोहम्मद पिता गोउस मोहम्मद ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र पेश किया।इधर भाजपा नेता विजय मलानी ने टिकट ना मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी में पहली ही खलबली मचा रखी है।वही पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे का कहना है कि मैं भी टिकट का दावेदार था।लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नही दिया, जिससे वे आहत है।
इन निर्दलीय और भाजपा नेताओं की नाराजगी से ना सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है। दोनों दलों को डर है कि निर्दलीय वोटों का बिखराव ना कर दे, अगर ऐसा होता है तो दोनों को नुकसान होने की संभावना है। इनमें सबसे ज्यादा डर बीजेपी को है, क्योंकि टिकट के नाम का ऐलान होते ही लालवानी का विरोध हो रहा है। कई स्थानीय नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है। इनमें से एक भाजपा नेता ने तो सीधे निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान ही कर दिया है, हालांकि अंदर की खबर है कि पार्टी लगातार उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है। वही निर्दलीय सिंधी नेता तोलानी से भी संपर्क किया जा रहा है,ताकी सिंधी वोट ना बंटे।अब देखना दिलचस्प होगा है कि एक दूसरे को मैदान में कड़ी टक्कर देने वाली बीजेपी कांग्रेस पहले इन निर्दलीय से कैसे निपटती है।
इधर सत्तन बोले- ये भाजपा की नही संगठन की लड़ाई है
वही लालवानी काे टिकट मिलने के बाद भाजना के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन का भी बयान सामने आया है । उनका कहना है कि अब यह कांग्रेस भाजपा की नहीं संगठन की लड़ाई है। क्योंकि दोनों के ही पिता ने लंबे समय तक संगठन का कार्य किया। सोमवार दोपहर सत्तन गुरु ने आशीर्वाद लेने शंकर लालवानी उनके घर पहुंचे। यहां सत्तन ने कहा जितनी खुशी राम का कार्य करने में गुरु वशिष्ठ को मिली थी और अर्जुन का कार्य करने में गुरु द्रोणाचार्य को उतनी ही खुशी उन्हें शंकर के लिए कार्य करने में मिलेगी। सत्तन ने मीडिया से कहा कि अब चाबी जनता के हाथ में है।