टेस्ला और स्पेसएक्स जैसे दुनिया के सबसे बड़े टेक ब्रांड्स चलाने वाले एलन मस्क अब अमेरिकी राजनीति की नई शक्ल बनने जा रहे हैं। दरअसल 4 जुलाई को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने ‘अमेरिका पार्टी’ का औपचारिक ऐलान कर दिया। वहीं यह फैसला उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कराए गए पोल के बाद लिया जिसमें 12 लाख से ज्यादा लोगों ने भाग लिया और भारी बहुमत से दो-दलीय सिस्टम को नकारा।
दरअसल अपने पोस्ट में मस्क ने लिखा कि, “2:1 के अंतर से आपने नया राजनीतिक दल चाहा और आपको मिलेगा! आज अमेरिका पार्टी बनाई जा रही है ताकि आपकी आजादी आपको लौटाई जा सके।” वहीं उन्होंने साफ किया कि यह पार्टी न तो रिपब्लिकन होगी और न ही डेमोक्रेट्स के नक्शे पर चलेगी। यह सिस्टम से आजादी और टेक्नोलॉजी आधारित शासन की बात करेगी।
अब डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क आमने-सामने
हालांकि कभी डोनाल्ड ट्रंप के करीबी रहे एलन मस्क अब उनके सबसे बड़े विरोधी बनते दिख रहे हैं। दरअसल ट्रंप के कार्यकाल में मस्क को ‘Department of Government Efficiency (DOGE)’ का प्रमुख बनाया गया था और चुनावी अभियान में करोड़ों डॉलर की मदद भी मिली थी। लेकिन ट्रंप के हालिया ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ को लेकर मस्क ने नाराजगी जाहिर की और इसे देश के लिए खतरा बताया है।
वहीं इसके बाद एलन मस्क ने ऐलान किया कि वे उन सभी सांसदों के खिलाफ चुनावी लड़ाई में पैसा खर्च करेंगे जिन्होंने उस बिल को समर्थन दिया। जवाब में डोनाल्ड ट्रंप ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वे मस्क की कंपनियों को मिलने वाली सभी सरकारी सब्सिडी खत्म कर सकते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक कह दिया कि एलन मस्क को अमेरिका से निर्वासित करने पर विचार कर रहे हैं।
America Party का एजेंडा क्या होगा?
दरअसल इस ‘पब्लिक ब्रेकअप’ से रिपब्लिकन पार्टी में भी घबराहट है। बता दें कि 2026 के मिड-टर्म इलेक्शन में मस्क के सीधे मुकाबले में आने से पार्टी की संसदीय बहुमत पर खतरा मंडरा सकता है। टेक्नोलॉजी और करोड़ों की फॉलोइंग रखने वाले मस्क अगर चुनावी मैदान में उतरते हैं तो उनका प्रभाव नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एलन मस्क ने भले ही अभी अपनी पार्टी के डिटेल्ड एजेंडे का खुलासा नहीं किया है, लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि पार्टी का फोकस शासन कुशलता, टेक्नोलॉजी आधारित निर्णय, और टैक्सपेयर के पैसों के पारदर्शी इस्तेमाल पर रहेगा। वे दोनों पारंपरिक दलों को नाकाम बताते हुए तीसरा विकल्प देने का दावा कर रहे हैं।





