दुनिया भर में एक से बढ़कर एक अजब चीज देखने को मिलती है जिन्हें देखकर कई बार तो आंखों को विश्वास नहीं होता। कुछ लोग इसे सामने से देखते हैं तो आजकल हाईटेक टेक्नोलॉजी के जमाने में लोग सोशल मीडिया पर भी ऐसी अजब गजब चीज देख लेते हैं जिस पर वह तरह-तरह के कमेंट्स भी करते हैं। लेकिन वाकई में प्राकृतिक काफी अलग है। यहां चीजों की कल्पना करना हकीकत से काफी अलग होता है।
लोगों के दिमाग का भी कोई जवाब नहीं। वह इसका इस्तेमाल एक से बढ़कर एक अजूबा चीज बनाने में करते हैं जिसका उदाहरण आज हम आपको बताने वाले हैं।
दुनिया के सबसे खतरनाक ब्रिज
दरअसल, आज हम आपको दुनिया के सबसे अजीबोगरीब पुलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सफर करना मौत का सामना करने के बराबर है। इन ब्रिज पर गाड़ी चलाने के बाद ड्राइवर की सांस अटक जाती है। हर वक्त यह खतरा बना रहता है कि कभी भी जान जा सकती है। अपने डिजाइन के कारण यह ब्रिज दुनिया भर में मशहूर है। इनमें से एक ब्रिज भारत में भी मौजूद है।
लकी नोट ब्रिज
दुनिया के अजीबोगरीब ब्रिज में चीन का लकी नोट ब्रिज भी शामिल है जो की चंद ऐसा शहर में स्थित है। यह ड्रैगन किंग हार्बर नदी पर बना एक पैदल पुल है। यहां से गाड़ियां तो नहीं गुजार सकती लेकिन लोग आ जा सकते हैं। यह बिल्कुल मोबियस रिंग की तरह दिखता है। इसमें तीन पुलों को मिलाकर बनाया गया है जो 185 मीटर लंबा और 24 मीटर ऊंचा है। इस पुल को आम लोगों के लिए 2016 में खोला गया था।
ट्विन सेल्स ब्रिज
इस लिस्ट में अजीबोगरीब पुल की लिस्ट में इंग्लैंड का ट्विन सेल्स ब्रिज शामिल है जो की डोरसेट शहर में बना हुआ है। इसे आम लोगों के लिए साल 2012 में खोला गया था। इसकी अनोखी और खास डिजाइन दुनिया भर में मशहूर है। यह दुनिया का पहला सबसे ज्यादा भीड़ भाड़ वाला पुल है, जिसमें दो वाहन लेन और दो साइकिल लेन हैं। जब बड़े से शिप नीचे से गुजरते हैं, तो डबल लिक्विड ब्रिज ऊपर की तरफ खुल जाता है।
एशिमा ओहाशी
इस लिस्ट में जापान का एशिमा ओहाशी भी शामिल है। यह बिल्कुल रोलर कोस्टर की तरह है। ड्राइवर इस पर गाड़ी डर-डर कर चलते हैं। यहां हर वक्त जान का खतरा बना रहता है। यह बिल्कुल सीधा खड़ा है। 1.7 किमी लंबा और 11.4 मीटर चौड़ा यह पुल अपनी सुंदरता के लिए भी जाना जाता है।
लिविंग रूट ब्रिज
इस लिस्ट में भारत का लिविंग रूट ब्रिज भी शामिल है, जो जीवित वृक्षों की जड़ों से बनाया गया है। यह मेघालय में स्थित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुल का निर्माण स्थानीय जनजाति के लोगों द्वारा किया गया था। यहां दूर-दराज से लोग इस पुल को देखने के लिए आते हैं।





