ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के इतिहास में एक प्रभावशाली और प्रिय धर्मगुरु के रूप में याद किए जाएंगे। वे 1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे जो अपनी सादगी और उदारता के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने गरीबों, शरणार्थियों और हाशिए पर रहने वाले लोगों की सेवा पर विशेष जोर दिया। उनका यह कथन प्रसिद्ध है 'मैं एक ऐसा चर्च चाहता हूं जो गरीबों के लिए हो'। उन्होंने सामाजिक न्याय और आर्थिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और चर्च में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने की वकालत की।

Pope Francis dies at 88 in Vatican : रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित उनके निवास पर सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने इसकी आधिकारिक घोषणा की।

पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ‘ इस शोक और स्मरण के समय में, मैं वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा उनकी करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे।’

पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन

ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन से अनुयायियों में गहरा शोक है। एक दिन पहले ईस्टर रविवार को ही उन्होंने सेंट पीटर्स स्क्वायर में हजारों लोगों को आशीर्वाद देने के लिए सार्वजनिक रूप से उपस्थिति दर्ज की थी। इस अवसर पर उन्होंने विश्व शांति और जरूरतमंदों की सहायता की अपील की थी।

लंबे समय से थे अस्वस्थ

पोप फ्रांसिसका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका मूल नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था। वे 13 मार्च 2013 को पोप बने और और 1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। वे लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। हाल ही में उन्हें डबल निमोनिया और ब्रोंकाइटिस के कारण रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था। लगभग 38 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद, 23 मार्च को उन्हें छुट्टी दी गई थी और डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी थी।

सामाजिक न्याय और सहिष्णुता के पक्षधर

पोप फ्रांसिस ने अपने 12 साल के कार्यकाल में अपनी सादगी, दया, करूणा और गरीबों के प्रति सहानुभूति के लिए विश्व भर में ख्याति प्राप्त की। वे 13 मार्च 2013 को पोप चुने गए थे और 1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उनके नेतृत्व में कैथोलिक चर्च ने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने चर्च में सुधारों के लिए कार्य किया। प्रवासियों, गरीबों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए आवाज उठाई और समलैंगिक नागरिक संघों के समर्थन में भी बयान दिए।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

दुनियाभर के नेताओं और धार्मिक समुदायों ने पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि अर्पित की है। पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक जताते हुए उनके साथ अपनी मुलाकातों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि ‘परम पावन पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। इस शोक और स्मरण के समय में, मैं वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा उनकी करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे। युवावस्था से ही उन्होंने प्रभु यीशु के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। उन्होंने गरीबों और वंचितों की सेवा में अथक परिश्रम किया। जो लोग पीड़ा में थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना प्रज्वलित की। मैं उनकी साथ अपनी मुलाकातों को स्नेहपूर्वक याद करता हूं और उनकी समावेशी तथा सर्वांगीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने आलिंगन में शाश्वत शांति प्रदान करें।’


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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