पांच जुलाई का दिन जापान के लोगों के लिए डर का कारण बन गया है। दरअसल सोशल मीडिया पर फैल रही एक भविष्यवाणी के मुताबिक, इस दिन जापान में विनाशकारी सुनामी आने वाली है। हालांकि इससे भी दिलचस्प बात यह है कि इस चेतावनी के बीच ही जापान के एक छोटे से द्वीप पर लगातार धरती कांप रही है। टोकारा द्वीप के अकुसेकिजिमा आइलैंड पर बीते कुछ दिनों में 700 से ज्यादा बार भूकंप आ चुका है, जिससे वहां रहने वाले लोग तनाव और डर के माहौल में जी रहे हैं।
दरअसल जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, 21 जून से अब तक अकुसेकिजिमा इलाके में 736 बार भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं इनमें से 50 से ज्यादा झटकों को स्थानीय लोगों ने भी महसूस किया है। हालांकि इस भूकंपों की तीव्रता जापान के स्केल पर 3 से 5 के बीच रही, जो घरों में रखा सामान गिराने के लिए काफी मानी जाती है।
कई लोग पहले ही द्वीप छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं
बता दें कि अकुसेकिजिमा एक ज्वालामुखीय द्वीप है जो समुद्र तल से 150 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। यह क्षेत्र पहले से ही भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है। लेकिन इतने लगातार झटकों ने यहां के लोगों को मानसिक रूप से थका दिया है। स्थानीय यूनियन प्रमुख इसामु सकामोटो ने बताया कि अब ऐसा लगने लगा है कि जमीन बिना भूकंप के भी हिल रही है। दरअसल सुनामी के खतरे को देखते हुए कई लोग पहले ही द्वीप छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं, क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए सप्ताह में सिर्फ दो बार नौका सेवा उपलब्ध होती है, जो कागोशिमा से करीब 250 किलोमीटर दूर है।
मंगा आर्टिस्ट रियो तात्सुकी की भविष्यवाणी पर बढ़ी चर्चा
दरअसल 5 जुलाई को सुनामी आने की यह आशंका रियो तात्सुकी की 1999 में आई मंगा किताब The Future I Saw से जुड़ी है। जानकारी दे दें कि उन्हें जापान की ‘बाबा वेंगा’ कहा जाता है क्योंकि उनकी कई भविष्यवाणियां पहले सच हो चुकी हैं। उन्होंने 2011 की तोहोकू आपदा, कोरोना वायरस और राजकुमारी डायना की मौत जैसी घटनाओं की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। वहीं तात्सुकी की किताब के मुताबिक, 5 जुलाई को जापान में समुद्र उबलने लगेगा, बुलबुले उठेंगे और एक विशालकाय सुनामी देश के तटीय इलाकों को तबाह कर सकती है।
इतना ही नहीं किताब में यह भी कहा गया है कि यह आपदा 2011 की सुनामी से भी बड़ी और भयानक होगी। वहीं इस भविष्यवाणी के चलते जापान में आने-जाने वाली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स के टिकट तक कैंसिल किए जा रहे हैं। पर्यटन इंडस्ट्री को पहले से ही झटका लगने लगा है।





