रूस की RS-28 Sarmat मिसाइल, जिसे “Satan II” के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया की सबसे खतरनाक न्यूक्लियर मिसाइलों में से एक है। यह इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) 35 मीटर लंबी है और 208 टन वजन के साथ 10-15 न्यूक्लियर वॉरहेड्स ले जा सकती है। इसकी रेंज 18,000 किमी है, यानी यह रूस से अमेरिका या यूरोप के किसी भी कोने को निशाना बना सकती है।
यह हाइपरसोनिक स्पीड (मैक 20, यानी 24,500 किमी/घंटा) से उड़ती है और मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRVs) से लैस है, जो कई टारगेट्स को एक साथ तबाह कर सकती है। रूस का दावा है कि यह मिसाइल किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है, जिसमें अमेरिका का SM-3 और इजरायल का Arrow 3 भी शामिल है। एक वॉरहेड में 50 मेगाटन तक की ताकत हो सकती है, जो हिरोशिमा बम से 3,000 गुना ज्यादा विनाशकारी है। इसका मतलब है कि यह एक शहर को सेकंड्स में राख कर सकती है। रूस ने इसे 2014 में पहली बार अनवील किया था और इसे न्यूक्लियर डिटरेंट के तौर पर देखा जाता है।

RS-28 Sarmat की विनाशकारी ताकत
यह 10-15 न्यूक्लियर वॉरहेड्स ले जा सकती है, जिसमें से हर एक हिरोशिमा बम से हजारों गुना ज्यादा ताकतवर है। इसकी हाइपरसोनिक स्पीड (मैक 20) और MIRVs टेक्नोलॉजी इसे लगभग अजेय बनाती है। यह मिसाइल साउथ पोल रूट से भी हमला कर सकती है, जिसे ज्यादातर डिफेंस सिस्टम्स कवर नहीं करते। रूस का दावा है कि यह किसी भी डिफेंस को खत्म कर सकती है, जिससे अमेरिका और यूरोप में डर का माहौल है। इसका एक 50 मेगाटन वॉरहेड 200 किमी के दायरे को तबाह करने की ताकत रखता है। हालाँकि, इसके टेस्ट में बार-बार फेल्यर ने इसकी रिलायबिलिटी पर सवाल खड़े किए हैं।
ग्लोबल डर और न्यूक्लियर टेंशन
RS-28 Sarmat ने अमेरिका और यूरोप में खौफ पैदा कर दिया है। रूस का कहना है कि यह मिसाइल न्यूक्लियर डिटरेंट है, लेकिन पश्चिमी देश इसे न्यूक्लियर ब्लैकमेल का हिस्सा मानते हैं। इसकी रेंज 18,000 किमी है, जो न्यूयॉर्क से लंदन तक किसी भी टारगेट को हिट कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका एक हमला लाखों लोगों की जान ले सकता है और पर्यावरण को दशकों तक नुकसान पहुँचा सकता है। हाल के सालों में रूस-यूक्रेन संकट और NATO के साथ तनाव के बीच इस मिसाइल ने ग्लोबल टेंशन बढ़ा दिया है। रूस के राष्ट्रपति ने इसे “शांति का हथियार” कहा, लेकिन इसका असली मकसद डर पैदा करना माना जाता है। क्या आपको लगता है कि यह हथियार न्यूक्लियर रेस को और खतरनाक बनाएगा?