RUSSIA-UKRIANE WAR:- रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में है, लेकिन इस बार वजह और भी विस्फोटक है। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ एक गुप्त बैठक में रूस के भीतर घुसकर हमले करने की रणनीति पर बातचीत की। फाइनेंशियल टाइम्स की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने जेलेंस्की से सीधा पूछा- “क्या यूक्रेन मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग पर हमला कर सकता है अगर हम हथियार मुहैया कराएं?” इसके जवाब में जेलेंस्की ने हामी भरी और कहा कि यदि आवश्यक हथियार मिले तो यूक्रेनी सेना रूस के बड़े शहरों को भी निशाना बना सकती है।
पहले ‘शांति वार्ता’ के समर्थक, अब ‘आक्रामक रणनीति’ के पक्षधर?
रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरूआती दौर में ट्रंप कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वे राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता और अगर होते, तो 24 घंटे में खत्म कर देते। लेकिन अब उनकी रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, 4 जुलाई को हुई इस गोपनीय बैठक में ट्रंप ने कहा कि रूस को सिर्फ जवाबी कार्रवाई से नहीं, बल्कि उसके मुख्य भूभाग में सैन्य दबाव डालकर बातचीत की टेबल पर लाया जा सकता है। वे मानते हैं कि मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों को निशाना बनाने से ही पुतिन झुकने को मजबूर होंगे। हालांकि इस तरह की सोच अमेरिकी विदेश नीति की मौजूदा धारा से काफी अलग है, जिसमें युद्ध को और अधिक गंभीर बनाने से बचा जाता रहा है।
क्या अमेरिका यूक्रेन को देगा लंबी दूरी की मिसाइलें?
यह बड़ा सवाल इस बातचीत के बाद उठ रहा है। अमेरिका अब तक यूक्रेन को HIMARS, ड्रोन और अन्य आधुनिक हथियारों की आपूर्ति करता रहा है, लेकिन मॉस्को जैसे दूरदराज के ठिकानों पर हमले के लिए जिन हथियारों की जरूरत है, वे अभी तक मुहैया नहीं कराए गए हैं। यदि ट्रंप की योजना को वास्तविक समर्थन मिलता है, तो अमेरिका द्वारा लंबी दूरी की क्रूज या बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति की संभावना बढ़ सकती है – जो सीधे रूस की राजधानी तक मार कर सकें। हालांकि अब तक न तो व्हाइट हाउस और न ही यूक्रेनी सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस रिपोर्ट से आने वाले हफ्तों में जियोपॉलिटिकल टेंशन और तेज़ हो सकती है।
रूस को आर्थिक मोर्चे पर घेरने की भी धमकी
इस रिपोर्ट से पहले भी ट्रंप की ओर से एक धमकी भरा बयान सामने आया था। सोमवार को उन्होंने कहा कि यदि रूस 50 दिनों में शांति समझौते पर तैयार नहीं हुआ, तो वे रूस के तेल और गैस निर्यात के खरीदारों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी देंगे। यह सीधा आर्थिक युद्ध होगा। खासकर चीन, भारत और कुछ यूरोपीय देशों के लिए, जो रूस से अभी भी ऊर्जा खरीदते हैं। ट्रंप के इस रुख से यह साफ हो जाता है कि वे सिर्फ सैन्य नहीं, कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर भी रूस को घेरने की रणनीति बना रहे हैं।
नए युद्ध की आहट या रणनीतिक दांव?
पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और यूरोप में यह भावना तेजी से बढ़ रही है कि रूस को कड़े जवाब की जरूरत है। ट्रंप-जेलेंस्की बैठक की रिपोर्ट इसी भावनात्मक बदलाव को दर्शाती है। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, अब पॉलिसी मेकर्स इस बात पर विचार कर रहे हैं कि अगर युद्ध को रूस के घर तक ले जाया जाए तो क्या पुतिन पर दबाव डाला जा सकता है? लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि ऐसा कोई कदम तीसरे विश्व युद्ध का जोखिम भी बढ़ा सकता है।
‘गुप्त योजना’ से खुला नया मोर्चा
इस रिपोर्ट ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या अमेरिका अब सिर्फ युद्ध को समर्थन देगा या उसे निर्णायक बनाने की ओर बढ़ेगा? अगर रिपोर्ट सही साबित होती है तो रूस-यूक्रेन युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है ,जो न केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन सकता है।





