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Fri, Dec 5, 2025

विभाग ने बगैर कारण बताये रिटायर कर्मचारी की ग्रेच्युटी से वसूले 2 लाख से ज्यादा रुपये, हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश

Reported by:Sandeep Kumar|Edited by:Atul Saxena
याचिका में दलील दी गई कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले 'स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह' और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के निर्णय का स्पष्ट उल्लंघन है।
विभाग ने बगैर कारण बताये रिटायर कर्मचारी की ग्रेच्युटी से वसूले 2 लाख से ज्यादा रुपये, हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस मनिंदर एस. भट्टी की एकल पीठ ने एक आई असिस्टेंट के चतुर्थ श्रेणी के पद पर पदस्थ रहे रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी से 2 लाख 15 हजार 555 रुपये की वसूली को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सीएमएचओ रायसेन को  60 दिनों के अंदर फैसला लेने का निर्देश दिया है। अगर वसूली गलत पाई जाती है, तो राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ 30 दिनों में लौटाने का आदेश भी जारी किया गया है।

याचिकाकर्ता के अनुसार वे आई असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थे, वर्ष 2022 में वे सेवानिवृत्ति हुए । सेवानिवृत्ति के बाद अचानक वर्ष 2023 में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) रायसेन ने बिना कोई कारण बताए या सुनवाई का मौका दिए ग्रेच्युटी से 2,15,555 रुपये वसूल लिए। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह वसूली संभवतः वेतन पुनर्निर्धारण के कारण हुई अतिरिक्त भुगतान से जुड़ी है, लेकिन रिटायरमेंट के बाद ऐसी वसूली वैधानिक रूप से अमान्य है।

रिटायर कर्मचारी से राशि वसूलना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन 

याचिका में दलील दी गई कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ‘स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह’ और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के निर्णय का स्पष्ट उल्लंघन है। इन फैसलों में वर्ग ३ और वर्ग ४ कर्मचारियों के पेंशनरी लाभों से रिटायरमेंट के बाद वसूली पर रोक लगाई गई है, जब तक कि कर्मचारी द्वारा धोखाधड़ी या गलत बयानी न साबित हो। फुल बेंच ने स्पष्ट कहा कि निम्न वर्ग के कर्मचारियों को आर्थिक कठिनाई से बचाने के लिए समता और न्याय के सिद्धांतों का पालन जरूरी है।

हाई कोर्ट का आदेश CMHO 60 दिन में लें उचित फैसला  

याचिकाकर्ता ने सीएमएचओ को विस्तृत शिकायत पत्र भेजे , जो आज तक लंबित हैं । एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिए कि सीएमएचओ को 60 दिनों के भीतर ठोस और तर्कसंगत आदेश पारित करना होगा। न्यायालय ने कहा कि मामला के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की जा रही, लेकिन राज्य को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी , आनंद शुक्ला , विनीत टेहेनगुरिया और शुभम पाटकर ने पैरवी की।

संदीप कुमार की रिपोर्ट