जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। MPPEB MPTET को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। दरअसल मामला हाईकोर्ट (MP High court) पहुंच गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। जिसमें मांग की गई कि प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में बीएड डिग्रीधारी (B.Ed Degree) को अयोग्य घोषित किया जाए। प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए उनके पास विशेषज्ञता नहीं होती है। इसलिए याचिका में इसे अयोग्य घोषित किए जाने की मांग की जा रही है। वही दायर याचिका में कहा गया कि प्राथमिक शिक्षकों को पढ़ाने का तरीका केवल D.El.Ed में सिखाया जाता है। इसलिए केवल उन्हें ही परीक्षा और नियुक्ति दी जाए।
दरअसल d.El.Ed फालतू विद्वानों ने एनसीटीई द्वारा 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना भारत सरकार के 30 मई 2018 के पत्र और मध्यप्रदेश शासन द्वारा 30 जुलाई 2018 को जारी शिक्षा के सेवा नियम की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी। वही MPPEB द्वारा MPTET वर्ग 3 प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2020 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे दी गई है।
वही याचिकाकर्ता की ओर से वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। जिसमें दलील दी गई कि नियम संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 21 और राइट टू एजुकेशन अधिनियम के बिल्कुल अलग है। मुख्य आधार में दलील देते हुए कहा गया कि प्राथमिक शिक्षकों की पात्रता परीक्षा में न्यूनतम और अधिकतम योग्यता 12वीं कक्षा होनी चाहिए। इसके अलावा d.El.Ed निर्धारित की गई है जबकि भारत सरकार द्वारा मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा 13 मई 2018 को एनसीटीई द्वारा निर्देश जारी किया गया। जिसमें स्नातक और बीएड डिग्री को भी शामिल किया गया है।
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एनसीटीई द्वारा के निर्देशों को लागू करते हुए एक शर्त रखी गई थी। जिसमें प्राथमिक शिक्षक के लिए भर्ती परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं तो बीएड पास उम्मीदवारों को नियुक्ति के 6 महीने के भीतर एक ब्रिज कोर्स पास करना होगा। ब्रिज कोर्स पास करने के बाद ही वह शिक्षक बनने की पात्रता रखेंगे। इसके अलावा मध्यप्रदेश सरकार ने भी अधिनियम में संशोधन किया था और MPPEB द्वारा 2020 की शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
दलील देते हुए हाईकोर्ट में वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि भारत की किसी भी सरकार द्वारा ब्रिज कोर्स प्रारंभ नहीं किया गया है। वहीं इसकी घोषणा सिलेबस भी फाइनल नहीं किया गया। इस स्थिति में बीएड पास उम्मीदवारों को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी जाती है जबकि 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को कक्षा एक से पांच में एडमिशन कराया जाता है। उनके शिक्षा के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
वही छोटे बच्चे को अध्यापन हेतु केवल डिलीट जी गिरधारी कोई विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए याचिका में राजस्थान कोर्ट के 13 नवंबर 2021 के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के 15 मार्च 2022 के अंतरिम आदेश का भी हवाला दिया गया है। जिसमें राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य में सिर्फ प्राथमिक शिक्षकों के लिए d.El.Ed डिग्री धारी को ही नियुक्ति दी गई है।