राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के मौके पर खंडवा में ऐतिहासिक पथ संचलन निकाला गया। इस दौरान “हिंदवो भूषणं अस्मि, न हि कस्यापि हीनः अहम्” के नारे के साथ हजारों स्वयंसेवक गणवेश में सड़क पर उतरे, जिसका अर्थ हम हिंदू गौरव हैं, हम किसी से कम नहीं है। ऐसा लग रहा था मानो पूरा शहर देशभक्ति और अनुशासन की भावना से सराबोर हो गया। “हर हर-हिंदू गौरव, विजय पथ पर अग्रसर हम” के जयघोष से पूरा माहौल गूंज उठा।
जगह-जगह मातृशक्ति द्वारा स्वागत स्टॉल लगाए गए, जहां महिलाओं ने स्वयंसेवकों पर फूल बरसाए और जलपान की व्यवस्था की। समाजसेवी संस्थाओं, व्यापारिक संगठनों और आम नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
पुष्प वर्षा कर किया स्वागत
बता दें कि पथ संचलन की शुरुआत नॉर्मल स्कूल मैदान से हुई। संघ गीतों और देशभक्ति के नारों से गूंजता यह आयोजन दो दलों में आगे बढ़ा। पहला दल इमलीपुरा और मुंबई बाजार की ओर गया, जबकि दूसरा दल अंजनी टॉकीज रोड से मछली बाजार मार्ग होकर बाम्बे बाजार पहुंचा। दोनों दल केवलराम चौक पर एकत्र हुए, जहां शहरवासियों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। संचलन शुरू होने से पहले नॉर्मल स्कूल मैदान में बौद्धिक सत्र आयोजित किया गया। इसमें संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने संघ के 100 वर्षों की यात्रा, समाज सेवा के संकल्प और संगठन की भूमिका पर चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि संघ का उद्देश्य समाज में एकता, अनुशासन और समरसता को मजबूत बनाना है।
पुलिस प्रशासन सख्त
कार्यक्रम के दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात की सख्त व्यवस्था की गई थी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी की ओर से बाम्बे बाजार क्षेत्र में विशेष स्वागत कार्यक्रम रखा गया था। इसमें सांसद ज्ञानेश्वर पाटील, जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह तोमर, पूर्व विधायक मुकेश तनवे, भाजपा नेता दिनेश पालीवाल, संदेश गुप्ता, अमर यादव और जिला महामंत्री धर्मेंद्र बजाजा सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
“संघे शक्तिः युगे-युगे”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आज खंडवा में आयोजित ‘पथ संचलन’ में पूर्ण गणवेश में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। pic.twitter.com/sTfQUdgwfm
— Gyaneshwar Patil BJP (@GyaneshwarBJP) October 5, 2025
शहरवासियों ने कहा कि यह आयोजन समाज में एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना को जगाने का प्रतीक है। बता दें कि संघ के शताब्दी पथ पर निकला हर स्वयंसेवक राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बना।
खंडवा, सुशील विधाणी





