बात-बात पर चिढ़ना, बहस करना, बात न मानना अगर आपके 15-16 साल के बच्चे भी ऐसे बिहेव करने लगे हैं, तो घबराएं नहीं। टीनएज उम्र का ये दौर बच्चों के अंदर बड़ा बदलाव लाता है। वो अब खुद को बड़ा समझने लगते हैं, अपनी पहचान बनाना चाहते हैं और हर चीज़ पर सवाल उठाते हैं। इस दौरान बच्चों की मनमानी और मूड स्विंग्स पैरेंट्स को परेशान कर सकते हैं।
लेकिन अगर पैरेंट्स (Parenting Tips) इस उम्र की साइकॉलॉजी को समझ जाएं और सही तरीके अपनाएं, तो ये मुश्किल वक्त एक मजबूत रिश्ते की शुरुआत बन सकता है। आइए जानते हैं टीनएज बच्चों को हैंडल करने के 5 असरदार और आसान तरीके, जो उन्हें समझने और सही दिशा देने में मदद करेंगे।
कैसे समझें और संभालें टीनएज बच्चों को?
1. उन्हें सुनिए, समझाइए मत
15-16 साल के बच्चे हर बात में तर्क करने लगते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि वो हर बार समझाने की कोशिश न करें, बल्कि पहले ध्यान से सुनें कि वो क्या कह रहे हैं। जब आप उनकी बात समझते हैं, तो वो भी आपकी बातें सुनने को तैयार होते हैं।
2. सख्त नहीं, सहयोगी बनें
इस उम्र में बच्चे अपनी आज़ादी चाहते हैं। इसलिए हर बात पर सख्ती करने के बजाय, उनसे बातचीत के जरिए सहमति बनाने की कोशिश करें। उन्हें जिम्मेदारी देना शुरू करें, जैसे कि छोटे-छोटे काम सौंपना, ताकि उन्हें भरोसा हो कि उन पर विश्वास किया जा रहा है।
3. सीमाएं तय करें, लेकिन प्यार के साथ
टीनएज में बच्चों को पूरी छूट देना भी खतरनाक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप कुछ सीमाएं तय करें, जैसे मोबाइल का इस्तेमाल, देर रात बाहर रहना, या सोशल मीडिया की लिमिट। लेकिन ये सीमाएं प्यार और लॉजिक के साथ समझाएं, न कि जबरदस्ती थोपें।





