अगर आप अपना लें जया किशोरी की ये 4 बातें, तो बन सकते हैं परफेक्ट मॉम-डैड

कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी का मानना है कि बच्चों को आत्मनिर्भर, संस्कारी और जिम्मेदार बनाने के लिए माता-पिता की भूमिका सबसे अहम होती है। उनके बताए गए 4 सरल लेकिन प्रभावशाली वचन हर पेरेंटिंग स्टाइल में बदलाव ला सकते हैं।

हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा न सिर्फ पढ़ाई में अच्छा हो, बल्कि एक अच्छा इंसान भी बने। आज के बदलते समय में बच्चों को सही दिशा देना और उनमें अच्छे संस्कार भरना एक चुनौती बन गया है। कथावाचक जया किशोरी (Jaya Kishori) ने अपने अनुभवों के आधार पर कुछ ऐसे सुझाव दिए हैं, जो बच्चों की परवरिश को बेहतर बना सकते हैं।

जया किशोरी का मानना है कि बच्चों को सिर्फ पढ़ाई में नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में सक्षम बनाना जरूरी है। उनके अनुसार, सही मार्गदर्शन और सकारात्मक माहौल से बच्चे आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बनते हैं। आइए जानते हैं उनके बताए गए 4 महत्वपूर्ण वचन, जो हर माता-पिता के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

1. बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं

जया किशोरी का कहना है कि माता-पिता का कर्तव्य केवल बच्चों की शादी करवाना नहीं है, बल्कि उन्हें इतना काबिल बनाना है कि वे अपने जीवन के फैसले खुद ले सकें। उनके अनुसार, बच्चों को शिक्षा, संस्कार, व्यवहार और आत्मनिर्भरता की दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि वे किसी पर निर्भर न रहें।
आज तक

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें छोटी उम्र से ही जिम्मेदारियां देना शुरू करें। उन्हें अपने छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें और गलतियों से सीखने का मौका दें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे भविष्य में बेहतर निर्णय ले सकेंगे।

2. घर का माहौल सकारात्मक रखें

बच्चों के विकास में घर का माहौल बहुत महत्वपूर्ण होता है। जया किशोरी के अनुसार, अगर घर में माता-पिता के बीच लगातार झगड़े होते हैं या नेगेटिव माहौल रहता है, तो इसका सीधा असर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

बच्चों के सामने झगड़े या तनावपूर्ण बातें करने से बचें। उन्हें एक शांत और सकारात्मक वातावरण दें, जहां वे खुलकर अपनी बातें साझा कर सकें। इससे वे मानसिक रूप से मजबूत बनेंगे और जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगे।

3. बच्चों को सही और गलत की पहचान कराएं

बच्चों को बचपन से ही सही और गलत की पहचान कराना जरूरी है। जया किशोरी का मानना है कि अगर बच्चे कोई गलत व्यवहार करते हैं, तो उन्हें प्यार से समझाना चाहिए, न कि हंसकर टाल देना चाहिए।

उदाहरण के लिए, अगर बच्चा गाली देता है या मारने की कोशिश करता है, तो उसे तुरंत समझाएं कि यह व्यवहार गलत है। अगर आप उसकी गलतियों पर हंसते हैं, तो वह उसे सही मान लेगा और आगे चलकर यही आदतें उसकी परवरिश में बाधा बन सकती हैं।

4. बच्चों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता दें

जया किशोरी के अनुसार, बच्चों को उनकी उम्र और समझ के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए। उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि उनके विचारों का सम्मान होता है और वे अपने फैसले खुद ले सकते हैं।

बच्चों को स्वतंत्रता देने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें पूरी छूट दे दी जाए, बल्कि उन्हें मार्गदर्शन के साथ अपने फैसले लेने का अवसर देना चाहिए। इससे वे आत्मविश्वासी बनेंगे और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना खुद कर सकेंगे।

 


About Author
Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News