अजब MP में गजब विरोध,लोन आवेदनों को लटकाने पर सफाई कर्मचारियों ने बैंक के सामने पटका कचरा

रायसेन,डेस्क रिपोर्ट। रायसेन (Raisen) जिले के बेगमगंज (Begumgunj) से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां शहर के 4 बैंकों (Banks) के सामने नगर पालिका की कचरा गाड़ी द्वारा कचरा (Garbage) फैला दिया गया। जब बैंककर्मी बैंक पहुंचे तो उन्होंने नगर पालिका अधिकारी और कर्मचारी को फोन लगाकर बैंक के बाहर कचरे पड़े होने की शिकायत दर्ज कराई। मिली जानकारी के अनुसार लोन के आवेदनों (Loan applications) को लंबे समय तक लटकाने के चलते सफाई कर्मचारियों ने बैंकों के बाहर कचरा पटक कर अपना विरोध (Protest) जताया है।

इस मामले को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी बैंक द्वारा बताया गया जिसके बाद 1 घंटे तक चले वाद विवाद के बाद सफाई कर्मचारियों द्वारा कचरा उठा लिया गया। दरअसल बेगमगंज में स्टेट वेंडर योजना के तहत 10-10 हजार के लोन गरीबों को स्वीकृत करने का टारगेट एसबीआई बैंक बेगमगंज, सेंट्रल ग्रामीण बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और सेंट्रल बैंक को दिया गया था। आरोप लगाए जा रहे हैं कि गरीबों के लोन प्रकरण को लंबे समय से लटकाया जा रहा है। फॉर्म लेकर नगर पालिका के कर्मचारी जब भी बैंक जाते थे उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता था, जिससे नाराज सफाई कर्मचारियों ने कचरा ले जाकर सभी बैंकों के सामने पटक दिया। पूरे मामले को लेकर नगर पालिका के प्रशासक और एसडीएम अभिषेक चौरसिया का कहना है कि इस मामले को लेकर सीएमओ से बात की जा रही है। सीएमओ से चर्चा के उपरांत आगे की जांच और कार्रवाई की जाएगी।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।