जानवरों की दुनिया इतनी विविध और रोमांचक है..जो हमें अचरज में भी डालती है और कुछ नया सिखाती भी है। चाहे समुद्र की गहराइयों में छिपे ऑक्टोपस हो या पेड़ों पर कुलांचे मारते बंदर, सरपट दौड़ते खरगोश हों या आराम फरमाने वाले कछुए..हर प्राणी का व्यवहार प्रकृति की कोई नई कहानी सुनाता है।
वैज्ञानिकों ने सालों की रिसर्च के बाद माना है कि जानवरों के व्यवहार में छुपे हैं संचार, भावनाएं, प्रेम और चतुराई के ऐसे संकेत जिनसे इंसान भी बहुत कुछ सीख सकता है। यही कारण है कि जानवरों की इन छोटी-छोटी आदतों में अक्सर कई गहरे संदेश छिपे होते हैं। आज हम कुछ जानवरों की ऐसी ही मजेदार आदतों के बारे में जानेंगे, जो आपके चेहरे पर स्माइल ले आएंगे।

ऑक्टोपस यानी समुद्र का जासूस
क्या आप जानते हैं कि ऑक्टोपस समुद्र का जेम्स बॉन्ड है। ये चतुर जीव रंग बदलकर छिप सकते हैं, जार का ढक्कन खोल सकते हैं और एक्वेरियम से भागने में भी माहिर हैं। 2016 में न्यूजीलैंड का ऑक्टोपस “इंकी” अपने टैंक से भागकर समुद्र में लौट गया था। वैज्ञानिक कहते हैं तीन दिलों वाला ये जीव पहेलियां सुलझाने में भी उस्ताद होता है।
पेंगुइन का कंकड़ प्रपोजल
अब चलते हैं अंटार्कटिका जहां पेंगुइन अपने पार्टनर को चमकदार कंकड़ देकर प्रपोज करते हैं। यहां के पेंगुइन अपने जीवनसाथी को आकर्षित करने के लिए कोई फूल या चॉकलेट नहीं, बल्कि एक चमकदार कंकड़ भेंट करते हैं। यह उनका अनोखा ‘प्रपोजल’ होता है। कंकड़ पसंद आया तो उनकी शादी पक्की।
बिल्ली का नाक छिपाना
क्या आपने बिल्लियों को अपनी नाक पैरों में दबाए देखा है? बिल्लियों के इस व्यवहार को “nose tuck” कहा जाता है और माना जाता है कि वे अपनी नाक की नाजुक नसों को ठंड से बचाने के लिए ऐसा करती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कुछ बिल्लियां सर्दियों में ऐसा व्यवहार करती हैं। यह व्यवहार अभी भी पूरी तरह समझा नहीं गया है, लेकिन यह निश्चित रूप से बिल्लियों की होशियारी और रहस्यमयी आदतों में से एक है।
मच्छरों का गोल्फिंग रोमांस
मच्छर भी रोमांटिक होते हैं। एक शोध के मुताबिक, नर मच्छर अपनी पसंदीदा मादा को लुभाने के लिए एक खास “गोल्फिंग” आवाज निकालते हैं, जो हमारे कानों को सुनाई नहीं देती। इस पिच और टोन से मादा उनकी “क्वालिटी” चेक करती है। BBC Science Focus के अनुसार, नर मच्छर अपनी पसंदीदा मादा को लुभाने के लिए उड़ते समय wingbeat frequency को एक खास पिच पर मिलाने की कोशिश करते हैं। इसे वैज्ञानिक “harmonic convergence” कहते हैं।
चींटियों का ट्रैफिक जाम
चींटियां भी ट्रैफिक जाम में फंसती हैं। एक अध्ययन के अनुसार, जब चींटियों की भोजन की ट्रेल में रुकावट आती है, तो वे इंसानों की तरह “ट्रैफिक जाम” बना लेती हैं। चींटियों के समाज में व्यवस्थित ट्रैफिक की व्यवस्था होती है, खासकर जब वे भोजन लाने-ले जाने में व्यस्त होती हैं। लेकिन जब रास्ते में अधिक भीड़ या रुकावट आती है तो चींटियों के ट्रेल में ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बन जाती है, जो इंसानी ट्रैफिक जाम की याद दिलाती है।
कोआला के सपनों की दुनिया
कोआला औसतन 18 से 22 घंटे तक सोते हैं। यह दुनिया के सबसे ज्यादा सोने वाले स्तनधारियों में गिने जाते हैं। इसका कारण है इनका आलसी नहीं, बल्कि ऊर्जा की बचत करना होता है। Australian Koala Foundation के मुताबिक वे सपने भी देखते हैं। उनकी नींद का राज है यूकेलिप्टस की पत्तियां जो पचाने में कठिन होती हैं। इस वजह से कोआला को ज़्यादातर समय विश्राम में रहना पड़ता है ताकि वो अपनी ऊर्जा की बचत कर सके।