मध्य प्रदेश का भूतिया किला, लाल रंग का एक रहस्यमयी दरवाजा, दीवारें आज भी सुनाती हैं जंग की चीखें!

मध्य प्रदेश के भिंड में बना अटेर किला अपने डरावने और रहस्यमयी दरवाजे के लिए फेमस है, जहां युद्धों में बहा खून अब भी उसकी दीवारों पर दहशत बिखेरता है। इतिहास, रहस्य, और चंबल के बीहड़ों से जुड़ा ये किला टूरिस्ट्स के लिए एडवेंचर और मिस्ट्री का शानदार डेस्टिनेशन है और इसके साथ ही सदियों से रहस्यमयी बना हुआ है।

मध्य प्रदेश के भिंड में बना अटेर फोर्ट अपनी मिस्ट्री के लिए फेमस है। इसका एक दरवाजा, जिसे लोग डरावना मानते हैं, सदियों से रहस्यमयी बना हुआ है। भिंड जिले में चंबल नदी के किनारे एक हिलटॉप पर बना यह स्ट्रक्चर 1664 से 1668 के बीच भदौरिया रूलर्स बादन सिंह, महा सिंह, और बखत सिंह ने तैयार किया था।

पहले इसे बधवार नाम दिया गया, जो भदौरिया रूलर्स से प्रेरित था। यह जगह स्ट्रैटेजिकली इम्पॉर्टेंट थी, क्योंकि हिलटॉप लोकेशन ने इसे डिफेंस के लिए परफेक्ट बनाया। इस जगह का जिक्र महाभारत में भी है, जहां इसे देवगिरि पहाड़ी कहा गया। फोर्ट की दीवारों पर पुराने वॉर स्ट्रैटेजी के निशान आज भी देखे जा सकते हैं। यह साइट ग्वालियर से 100 किलोमीटर नॉर्थ-ईस्ट में है और घाटी के टूरिस्ट्स के लिए अट्रैक्शन है। इसका मेन एंट्रेंस, जिसे लोग एक खास नाम से बुलाते हैं, कई जंगों का गवाह रहा है।

रहस्यमयी दरवाजा और उसकी डार्क हिस्ट्री

इस स्ट्रक्चर का सबसे बड़ा रहस्य इसका मेन एंट्रेंस है, जिसे लोग एक डरावने नाम से जानते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि जंगों के दौरान इस एंट्रेंस पर बहुत खून बहा, जिसके बाद इसका नाम ऐसा पड़ा। स्थानीय लोगो के मुताबिक, इस जगह पर अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, जो इसे और भी डरावना बनाती हैं। यह एंट्रेंस दुश्मनों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया था। बीहड़ों में होने की वजह से यह साइट डाकुओं का ठिकाना भी बन चुकी है। अंदर पुराने हथियार, तोपें, और वॉर आर्टिफैक्ट्स मौजूद हैं, जो उस टाइम की मिलिट्री स्ट्रेंथ दिखाते हैं। टूरिस्ट्स यहाँ की हिस्ट्री से अट्रैक्ट होते हैं और नदी का पैनोरमिक व्यू भी देखने लायक है।

कैसे पहुंचें और आसपास के अट्रैक्शन्स

इस साइट तक पहुंचने के लिए ग्वालियर सबसे अच्छा ऑप्शन है, जो 100 किलोमीटर दूर है। ग्वालियर एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई, और कोलकाता से कनेक्टेड है, जिससे फ्लाइट से पहुंचना आसान है। ट्रेन से भिंड रेलवे स्टेशन नजदीक है, जो ग्वालियर-आगरा रूट पर पड़ता है। साउथ या सेंट्रल इंडिया से दिल्ली जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें यहाँ रुकती हैं, बस स्टॉपेज चेक करना होगा। रोड से भी यह जगह आसानी से पहुंची जा सकती है। आसपास चंबल घारियाल सैंक्चुरी है, जहां बर्डवॉचिंग और वाइल्डलाइफ एक्सपीरियंस मिलता है। नेशनल सैंक्चुरी में घड़ियाल और रेड-क्राउन्ड टर्टल जैसे एंडेंजर्ड स्पीशीज देखे जा सकते हैं। बटेश्वर टेम्पल्स, जो यमुना नदी के किनारे हैं, अपनी कार्विंग्स के लिए फेमस हैं।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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