Patal Bhuvaneshwar Uttarakhand : भारत के उत्तराखंड की धरती पर बसा पाताल भुवनेश्वर अनोखा होने के साथ ही विश्वभर में भी प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। वैसे तो उत्तराखंड धार्मिक राज्यों की गिनती में आता है। यहां की जितनी भी गुफाएं है वो विश्व स्तर पर अपने रहस्य के लिए प्रसिद्ध है। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी यहां घूमने आते हैं और अपने साथ बहुत सी यादें संजो कर ले जाते हैं। उत्तराखंड की यह जगह पर बेहद ही खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां पर एडवेंचर करने के लिए कई सारी एक्टिविटीज मौजूद है। यह जगह प्राकृतिक सौंदर्य से अक्सर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है। यहां का रहस्य और सुंदरता लोगों का मन मोह लेती है। आप ही पाताल भुवनेश्वर घूमने के लिए जा सकते हैं।
ऐसे पहुंचे यहां
सबसे पहले हम आपको इस जगह से रूबरू करवाते हैं। दरअसल, यह स्थान उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्थित गुफाओं में दुनिया के खत्म होने का रहस्य जुड़ा हुआ है। इस मंदिर और यहां की रहस्यमयी गुफाओं का जिक्र वेद- पुराणों में भी किया गया है। यहां की खास राज को जानने के लिए दूर -दराज से लोग यहां पहुंचते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए आप बस, रेल और हवाई जहाज के जरिए पहुंच सकते हैं। यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। हालांकि, यहां के बाद रास्ते काफी जटिल हो जाते हैं। इस मंदिर का रास्ता इतना ज्यादा पतला है कि आपको बहुत ही संभलकर जाने की आवश्यकता है।
मंदिर में मौजूद है चार द्वार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में चार द्वार मौजूद है- रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार। स्थानीय लोगों का कहना है कि रावण की मृत्यु के बाद पापद्वार बंद हो गया था। वहीं, कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद रणद्वार भी बंद हो गया। फिलहाल, दो द्वार अभी खुले हुए हैं। यह स्थान समुद्र तल से 90 फीट गहराई में स्थित है। इसलिए भी इसे पाताल के नाम से जाना जाता है। मान्यताएं ये कहती है कि इस रहस्यमयी मंदिर की स्थापना स्वंय भगवान शिव ने की थी। जब उन्होंने अपने पुत्र गणेश का सिर धर से अलग कर दिया था तब उनके सिर को पाताल भुवनेश्वर में रखा था।
इतना बड़ा रहस्य
वहीं, इसी गुफा से दुनिया के समाप्त होने का रहस्य भी जुड़ा है। दरअसल, ऐसी मान्यता है कि जिस दिन शिवलिंग मंदिर की दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा जिसकी आकृति में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। सृष्टि का विनाश हो जाएगा। उस दिन स्वंय ब्रह्मा, विष्णु या महेश भी कुछ नहीं करेंगे। कहा जाता है यहां दर्शन करने के से चार धामों के दर्शन प्राप्त हो जातें हैं।