National Sandwich Day 2022 : कैसे हुआ सैंडविच का ईजाद, जानिये दिलचस्प कहानी

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज नेशनल सैंडविच डे (National Sandwich Day 2022) है। सैंडविच भला किसे पसंद नहीं होंगे। ये फास्ट फूड (fast food) इतने तरह का होता है कि कोई भी अपनी पसंद के हिसाब से इसे चुन सकता है। सिंपल हेल्दी सैंडविच (Sandwich) खाना है तो आपके लिए फ्रेश ब्रेड और चीज़ या पनीर के साथ फ्रेश वेजीस और सॉस का कॉम्बिनेशन है। अगर आपको अपने पेट को फुल करना है तो बढ़िया फीलींग वाले ग्रिल सैंडविच खा सकते हैं। और अपना देसी तरीका तो हमेशा से हिट है..जिसमें मसालेदार आलू भरकर घी में सेंककर सैंडविच तैयार किये जाते हैं। इतने सारे सैंडविच के बीच क्या आपने कभी सोचा कि इसका ईजाद कैसे हुए और ये कहां से चलकर आज हमारे किचन तक पहुंचा है।

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बहुत अरसे पहले से ही ब्रेड का उपयोज मीट या सब्जियों के साथ खाने में किया जाता रहा है। लेकिन पहली बार अंग्रेजी शब्द ‘सैंडविच’ का लिखित उपयोग एडवर्ड गिब्बन के जर्नल लाँगहैंड में नजर आया जहा उन्होने ‘बिट्स ऑफ कोल्ड मीट’ के रूप में इसे उद्धृत किया। हालांकि इसे लेकर भी कई तरह की कहानियां मशहूर है। एक कहानी कहती है कि ब्रिटिश स्टेट्समैन जॉन मोन्टेग ने इसे बनाया। उन्होने अलग अलग चीजों को मिस्क किया और उन्हें दो ब्रेड के बीच रख दिया। इसका नाम साउथ ईस्ट इंग्लैंड में स्थिति एक स्थान सैंडविच के कारण दिया गया। वहीं दूसरी कहानी काफी मजेदार के। इसके मुताबिक लॉर्ड सैंडविच नाम का एक युवक कार्ड्स का दीवाना था। उसे ये खेल इतना पसंद था कि वो बीच में खाने के लिए भी नहीं उठता। ऐसे में भूख लगने पर उसे कुछ ऐसा चाहिए होता जो तुरत फुरत खा सके और हाथ भी गंदे न हो। ऐसे में उसने अपने सर्वेंट को कहा कि वो दो ब्रेड के बीच में सब्जियां, पनीर, सलाद या मीट व अन्य चीजें भरकर लाया करे। यहीं से सैंडविच का ईजाद हुआ और उसी के नाम पर इसका नामकरण हो गया।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।