Obesity Equals Beauty, Prosperity and Social Prestige : आज के समय में हर कोई फिट दिखना चाहता है। स्लिम रहना जैसे कोई सपना हो और हर कोई इसे पाना चाहता है। फिल्मों, विज्ञापनों, इंस्टाग्राम रील्स और हेल्थ ब्लॉग्स ने जिस तरह ‘फिटनेस’ को ग्लैमर का हिस्सा बना दिया है, उसके बाद तो लोग वजन कम करने के लिए क्या-क्या कोशिशें नहीं करते हैं।
स्लिम लोग आज समाज में ज़्यादा स्वीकृत और प्रेज़ेंटेबल माने जाते हैं। लेकिन ये दुनिया बहुत बड़ी है और सुंदरता के मायने हर जगह अलग-अलग हैं। जहां एक ओर पतली कमर और फिट बॉडी को परफेक्ट माना जाता है, वहीं कुछ देशों में मोटापा न सिर्फ सेहत का प्रतीक है बल्कि सुंदरता और रुतबे का पैमाना भी है। इन देशों में मोटापे को सुंदर मानने के पीछे कई सामाजिक और ऐतिहासिक कारण हैं।

जहां मोटापा है सुंदरता और समृद्धि का प्रतीक
जब दुनिया भर में फिटनेस, जीरो फिगर और स्लिम बॉडी को सुंदरता का पैमाना माना जाता है, तब कुछ देश और समुदाय ऐसे भी हैं जहां मोटापा न सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि समाजिक प्रतिष्ठा और वैभव का चिन्ह भी माना जाता है। इन जगहों पर मोटे लोगों को आकर्षक, संपन्न और योग्य माना जाता है। आइए जानते हैं दुनिया की ऐसी ही कुछ अनोखी जगहों के बारे में।
मॉरिटानिया: मोटापा है शादी की शर्त
उत्तरी अफ्रीका का देश मॉरिटानिया सुंदरता को लेकर अपने अनोखे नजरिए के लिए मशहूर है। यहां के मूर समुदाय में मोटी महिलाएं सुंदरता की मिसाल मानी जाती हैं। यहां पतली लड़कियों को शादी के लिए ‘अनफिट’ माना जाता है, जबकि भारी-भरकम शरीर वाली महिलाएं लड़कों की पहली पसंद होती हैं। मॉरिटानिया में ‘लेज़ार’ नाम की प्रथा है जिसमें लड़कियों को कम उम्र से ही ढेर सारा खाना खिलाकर मोटा किया जाता है। इन्हें ऊंट का दूध, बाजरे की खीर और तेल से भरी डाइट दी जाती है, ताकि उनका वजन तेजी से बढ़े। ज्यादा वजन यहां समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। हालांकि हाल के सालों में स्वास्थ्य जागरूकता के कारण इस प्रथा में कमी आई है, लेकिन मोटापे को सुंदर मानने की परंपरा अभी भी बरकरार है।
नाउरू: जहां मोटापा है स्टेटस सिंबल
प्रशांत महासागर में बसा छोटा सा द्वीपीय देश नाउरू दुनिया के सबसे ज्यादा मोटापे वाले देशों में शुमार है। यहां करीब 61% वयस्क आबादी मोटापे से ग्रस्त है। और खास बात ये कि इसे बुरा नहीं, बल्कि गर्व की बात माना जाता है। नाउरू में मोटा शरीर समृद्धि, खुशहाली और सामाजिक रुतबे का प्रतीक है। स्थानीय लोग मानते हैं कि भारी-भरकम शरीर उनके ‘सुखद द्वीप’ की आरामदायक जिंदगी को दर्शाता है। यहां पुरुष और महिलाएं दोनों ही अपने वजन को बढ़ाने के लिए उच्च कैलोरी वाले खाने, जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ और प्रोसेस्ड फूड का सहारा लेते हैं। यहां मोटापा सिर्फ सुंदरता नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा का भी हिस्सा है।
टोंगा: मोटापा यानी सुंदरता की परिभाषा
पॉलिनेशिया में स्थित टोंगा एक ऐसा देश है, जहां बड़े शरीर को शाही और सुंदर माना जाता है। टोंगा के शाही परिवार के कुछ राजा..खासकर राजा तुपोउ चतुर्थ को दुनिया के सबसे वजनी राजाओं में से एक माना जाता था। यहां मोटापा शक्ति, समृद्धि और नेतृत्व का प्रतीक है। स्थानीय लोग मानते हैं कि बड़ा शरीर अच्छे स्वास्थ्य और धन-दौलत का सबूत है। यहां पारंपरिक नृत्यों और समारोहों में भारी शरीर वाले लोग ज्यादा आकर्षक माने जाते हैं। टोंगा में खाने की संस्कृति भी मोटापे को बढ़ावा देती है जहां याम, टैरो और नारियल की भारी डाइट आम है। यहां तक कि मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, बड़ा शरीर अभी भी सुंदरता का पर्याय माना जाता है।
ताहिती: मोटापा और आकर्षण का पुराना रिश्ता
फ्रेंच पॉलिनेशिया का हिस्सा ताहिती भी उन जगहों में शामिल है, जहां ऐतिहासिक रूप से मोटापे को सुंदरता से जोड़ा जाता रहा है। 18वीं और 19वीं सदी में ताहिती के कुलीन वर्ग में मोटा शरीर उच्च सामाजिक दर्जे का प्रतीक था। महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने वजन को बढ़ाने के लिए खास डाइट का पालन करते थे। हालांकि, आधुनिक समय में ये धारणा कम हुई है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी भारी शरीर को आकर्षक माना जाता है। ताहिती के पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक आयोजनों में मोटे लोग खास सम्मान पाते हैं।
नाइजर: मोटापे का अर्थ सौंदर्य और सामाजिक हैसियत
नाइजर और नाइजीरिया के कुछ हिस्सों, खासकर हौसा समुदायों में मोटापा सामाजिक सम्मान और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। यहाँ मोटे शरीर को वैवाहिक जीवन की सफलता और आर्थिक समृद्धि से जोड़ा जाता है। विशेष रूप से, शादी से पहले लड़कियों को उच्च कैलोरी वाली डाइट दी जाती है ताकि उनका वजन बढ़े जिसे “फैटिंग रूम” या “लेबोउ” जैसी प्रथाओं में देखा जा सकता है। यह प्रथा खासकर नाइजर के कुछ क्षेत्रों और नाइजीरिया के उत्तरी हिस्सों में प्रचलित है, जहाँ इसे सौंदर्य और सामाजिक हैसियत का मानक माना जाता है।
बाउले जनजाति: मोटेपन की पूजा
आइवरी कोस्ट की बाउले जनजाति में मोटापा सांस्कृतिक रूप से प्रतिष्ठा, सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है। मोटे शरीर वाली महिलाओं को इस समाज में उच्च सम्मान प्राप्त होता है और वे पारंपरिक नृत्यों व अनुष्ठानों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। बाउले संस्कृति में मोटापन न सिर्फ शारीरिक आकर्षण को दर्शाता है, बल्कि यह परिवार की आर्थिक स्थिरता और सामाजिक हैसियत को भी बताता है। इसीलिए, महिलाओं का वजन बढ़ाना यहां एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रथा मानी जाती है।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)