कहीं दहन तो कहीं पूजा जाता है रावण, इन स्थानों पर पूज्य माना जाता है लंकेश

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश भर में  नवरात्रि (navratri) में नौं दिन देवी मां की उपासना (worship) करने के उपरांत दसवें दिन दशहरा( dussera) मनाया जाता है। दशहरा के दिन बुराई (रावण) पर अच्छाई (राम) की जीत का जश्न मनाया जाता है। दशहरा के दिन, लंका के राक्षस राजा रावण ( raven) के पुतला (effigy) भारत के विभिन्न स्थानों पर जलाया जाता (burnt) हैं क्योंकि रावण ने देवी सीता का अपहरण किया था।

रावण (raven) को लोग एक बुरे चरित्र के रूप में जानते हैं, लेकिन हर कोई ऐसा नहीं सोचता। कुछ लोगों के लिए, वह अब तक के सबसे विद्वान पंडित थे और उनके 10 सिर छह शास्त्रों और चार वेदों में उनके ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत में कुछ जगहों पर रावण को एक देवता( god) के रूप में पूजा(worshiped) जाता है और दशहरा पर रावण दहन नहीं किया जाता है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।