Shortest Name Railway Station : भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है। भारतीय रेल नेटवर्क में कुल लंबाई 67,415 किलोमीटर है और इसमें 7,349 स्टेशन हैं। भारतीय रेलवे अन्य देशों के रेलवे नेटवर्कों से अधिक से अधिक लोगों को यात्रा कराता है और विभिन्न शहरों और गांवों को जोड़ता है। इसलिए भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया में अपनी महत्तव रखता है। साथ ही, यह भी महत्व रखता है कि हमारे देश में एक-से-बढ़कर-एक रेलवे स्टेशनों के नाम होते हैं। जो आपको हंसने पर मजबूर कर देते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको भारत के सबसे छोटे रेलवे स्टेशन के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं…
ओडिशा में है स्थित
दरअसल, ओडिशा के झारसुगुडा में स्थित यह रेलवे स्टेशन देश का सबसे छोटा रेलवे स्टेशन है, जिसका पूरा नाम ‘इब’ है। यह स्टेशन रेलवे के लिए बहुत अहम है क्योंकि यह झारसुगुडा रेलवे जंक्शन के लिए मुख्य रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ है जो पश्चिमी ओडिशा और झारखंड को आपस में जोड़ता है। यहां से कुछ ही ट्रेनें जाती हैं, जो कि इस स्टेशन पर सिर्फ दो मिनट के लिए होकर गुजरती हैं। इस स्टेशन को देश का सबसे छोटा रेलवे स्टेशन माना जाता है।
इस रेलवे स्टेशन की खासियत
इब रेलवे स्टेशन देश में अनोखा स्थान रखता है। इसका नाम सिर्फ दो अक्षरों में होता है और यह देश का सबसे छोटा रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन पर केवल दो प्लेटफार्म हैं और यह एक सामान्य रेलवे स्टेशन की तरह नहीं है। यह एक छोटा स्टेशन है जिसमें बहुत कम ट्रेनें रुकती हैं और जो ट्रेनें रुकती हैं, उनका स्टॉपेज भी सिर्फ दो मिनट का होता है। इस स्टेशन का उपयोग अधिकतर स्थानीय यात्रियों के लिए होता है जो नजदीकी इलाकों के लिए रेल यात्रा करते हैं। इस स्टेशन की विशेषता यह है कि इसके बाहर एक सुंदर नदी है और इसके आसपास कुछ खूबसूरत पहाड़ी दृश्य हैं।
इब रेलवे स्टेशन का इतिहास
इब रेलवे स्टेशन भारत में रेलवे इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका नाम इस स्टेशन के पास बहने वाली Ib नदी से लिया गया है। इस स्टेशन का नाम भारत के सबसे छोटे रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है। जिसका निर्माण साल 1900 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। इस स्टेशन का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों के लिए रेल यात्रा के सुविधाओं को प्रदान करना था। इस स्टेशन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय यात्रियों को उनके निकट स्थानों तक पहुंचने के लिए रेल सुविधा प्रदान करना होता था। इस स्टेशन पर बहुत कम ट्रेनें रुकती हैं और जो ट्रेनें रुकती हैं, उनका स्टॉपेज भी सिर्फ दो मिनट का ही होता है।
भारतीय रेल का इतिहास
भारतीय रेल का इतिहास 1853 में शुरू हुआ था, जब पहली बार बॉम्बे से ठाणे तक की 34 किलोमीटर लंबी रेलगाड़ी लाइन शुरू हुई थी। उस समय भारत की राजधानी कोलकाता में भी एक छोटी सी रेलगाड़ी लाइन थी जो साल 1854 में शुरू हुई थी जबकि भारतीय रेलवे की दूसरी लंबी रेल लाइन 1854 में मुंबई से कल्याण तक शुरू हुई थी। वहीं, भारतीय रेलवे की तीसरी लंबी रेल लाइन इलाहाबाद (प्रयागराज, बदला हुआ नाम) से कानपुर तक 1859 में शुरू हुई थी।
लाखों लोग करते हैं सफर
भारतीय रेल के अनुसार, लगभग 14 लाख करोड़ रुपये की मूल्य के सामान वस्तुएं और 23 करोड़ यात्रियों को रोजगार, वित्त और आर्थिक विकास के लिए संभाला जाता है। भारतीय रेल का संचालन भारत सरकार के द्वारा किया जाता है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। भारतीय रेल को विश्व स्तर पर मान्यता भी मिली हुई है। वर्ष 2019 में, भारतीय रेल को विश्व स्तर पर सबसे बड़े सार्वजनिक रेलवे के रूप में मान्यता दी गई थी, जो अपने आयोजन, ऑपरेशन और तकनीकी क्षमताओं के लिए जाना जाता है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)