यह है भारत की सबसे छोटी चींटी, आकार सिर्फ 0.5 मिमी! रिसर्च जारी

दरअसल, राजमाता विजया राजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय इंदौर के कीट वैज्ञानिकों ने दमोह जिले में देश की सबसे छोटी चींटी की खोज की है। यह प्रजाति भारत में पहले कभी भी दर्ज नहीं हुई थी।

भारत और दुनिया में एक से बढ़कर एक प्रजाति के पशु, पक्षी और कीट पाए जाते हैं, जिनमें से एक चींटी भी है, जो खास तौर पर काली और लाल रंग की होती है। ऐसे में आज हम आपको देश की सबसे छोटी चींटी के बारे में बताएंगे, जिसकी खासियत ने सभी को हैरान कर दिया है।

दरअसल, राजमाता विजया राजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय इंदौर के कीट वैज्ञानिकों ने दमोह जिले में देश की सबसे छोटी चींटी की खोज की है। यह प्रजाति भारत में पहले कभी भी दर्ज नहीं हुई थी।

रिसर्च जारी

इन नई चीटिंयों की लंबाई 0.5 मिमी लंबी है। इसके सिर की बात करें, तो यह केवल 0.2 मिमी का है, जो कि हल्के पीले रंग की है। वैज्ञानिकों ने इसका नाम अग्रालोमिर्मेट ‘दमोह एंट’ रखा है। साथ ही यह दावा किया जा रहा है कि यह भारत की सबसे छोटी चींटी है। वैज्ञानिकों की टीम ने लगभग 3 साल तक 13 से 14 जिलों का सर्वेक्षण किया। फिलहाल, इस पर आगे भी रिसर्च जारी है।

40 प्रजाति पाईं जाती हैं

वैज्ञानिकों के अनुसार, पौधों पर आने वाले कीटों को चींटियां नष्ट करती हैं, साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारती हैं, जिससे पौधे की वृद्धि होती है। भारत में 900 प्रजातियां चींटियों की पाई जाती हैं, जिनमें से मध्य प्रदेश में 40 प्रजातियां दर्ज हुई हैं, जबकि इंदौर में 30 प्रजाति पाई जाती हैं। दुनिया भर की बात करें तो अब तक 10 लाख कीटों का नामकरण हो चुका है।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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