कविताएं लिखते हुए तीर्थयात्रा, यहां नृत्य करते हुए होती है प्रार्थना, जानिए दुनिया की कुछ अनूठी धार्मिक परंपराएं

जापान मे 'नकी सुमो' नामक अनुष्ठान में पहलवान नवजात शिशुओं को गोद में लेकर उन्हें रुलाने की कोशिश करते हैं। यह माना जाता है कि बच्चे का रोना बुरी आत्माओं को दूर करता है और ये उनके लिए अच्छा स्वास्थ्य लेकर आता है। नेपाल में "तिहाड़" पर्व में कुत्तों, गायों और कौवों की पूजा की जाती है, इस तरह की परंपरा भारत में भी कई जगह प्रचलित है। ग्रीस में ग्रीक अनास्तेनारिया अनास्तेनारिया परंपरा में अग्नि पर नंगे पांव चलने को शुद्धिकरण और आस्था की परीक्षा माना जाता है।

दुनियाभर में धर्म और आस्था से जुड़ी परंपराएं मानव सभ्यता की विविधताओं को दर्शाती हैं। कुछ परंपराएं श्रद्धा और भक्ति की पराकाष्ठा होती हैं, वहीं कुछ ऐसी भी हैं जो अचरज में डाल देती हैं। कुछ स्थानों की परंपराएं इतनी अनोखी और विचित्र हैं कि वे श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों का भी ध्यान खींचती हैं। ये परंपराएं सदियों पुरानी मान्यताओं, स्थानीय संस्कृति और धार्मिक आध्यात्मिक आस्था का मिश्रण होती हैं।

आपने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर के बारे में तो सुना ही होता। ये शनिदेव का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और इस गाँव की अनोखी परंपरा है कि यहां कोई भी अपने घर में ताला नहीं लगाता है। मान्यता है कि शनि देव स्वयं गाँव की रक्षा करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। दुनिया के अलग अलग स्थानों पर ऐसी ही कई परंपराएं हैं जो हमें हैरत में डाल सकती हैं। आइए कुछ ऐसी ही अनूठी मान्यताओं और परंपराओं के बारे में जानते हैं।

थाईपुसम उत्सव, मलेशिया: शरीर छेदन की रस्म

मलेशिया के बटु गुफाओं में हर साल होने वाला थाईपुसम उत्सव हिंदू भगवान मुरुगन को समर्पित है। इस दौरान भक्त अपने शरीर में सुई हुक आदि से छेदकर तीर्थयात्रा करते हैं। कुछ भक्त अपनी जीभ या गालों में भी सुइयाँ डालते हैं। ये परंपरा भक्ति और तपस्या का प्रतीक मानी जाती है। आजकल मेडिकल विशेषज्ञों की निगरानी में यह रस्म होती है।

लालिबेला, इथियोपिया: चट्टानों में तराशे गए चर्च

इथियोपिया के लालिबेला में 12वीं सदी के चट्टानों में तराशे गए ग्यारह चर्च यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। यहाँ की अनोखी परंपरा है तिमकट उत्सव(एपिफेनी) जिसमें हजारों तीर्थयात्री रंग-बिरंगे परिधानों में चर्चों के बीच जुलूस निकालते हैं। इस दौरान पुजारी पवित्र जल से भक्तों का अभिषेक करते हैं और लोग रातभर प्रार्थना और नृत्य में डूबे रहते हैं।

ओकू-नो-होसोमिची, जापान: कविता और तीर्थयात्रा

जापान के यमादेरा मंदिर में बौद्ध भिक्षु और कवि मात्सुओ बाशो की स्मृति में एक अनोखी परंपरा है। यहाँ तीर्थयात्री पहाड़ों पर चढ़कर मंदिर तक जाते हैं और रास्ते में कविताएँ लिखते हैं। यह परंपरा 17वीं सदी के कवि बाशो के यात्रा वृतांत ओकू-नो-होसोमिची से प्रेरित है। भक्त मानते हैं कि यह यात्रा आत्मिक शांति और रचनात्मकता को जागृत करती है।

सांता मुर्ते मंदिर, मेक्सिको: मृत्यु की देवी की पूजा

मेक्सिको सिटी के सांता मुर्ते मंदिर में मृत्यु की देवी ला सांता मुर्ते की पूजा की जाती है। यहाँ की अनोखी परंपरा है कि भक्त सिगार, शराब, फूल और भोजन जैसी चीजें देवी को अर्पित करते हैं। कुछ भक्त टैटू भी बनवाते हैं या खतरनाक गतिविधियों से बचने के लिए प्रार्थना करते हैं। यह परंपरा कैथोलिक और स्वदेशी मान्यताओं का मिश्रण है। हालांकि, इसकी लोकप्रियता के बावजूद, कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं लेकिन हर साल लाखों लोग इस मंदिर में आस्था के साथ पहुँचते हैं।

वट सिसाकेत, लाओस: हजारों बुद्ध मूर्तियों का मंदिर

लाओस की राजधानी वियनतियाने में वट सिसाकेत मंदिर में 6800 से अधिक बुद्ध मूर्तियाँ हैं जो इसे एक अनोखा धार्मिक स्थल बनाती हैं। यहाँ की परंपरा है कि भक्त अपनी मनोकामना के लिए मूर्तियों के सामने मोमबत्तियाँ जलाते हैं और फूल चढ़ाते हैं। हर साल बहन माखा बौछा उत्सव में भक्त मंदिर के चारों ओर तीन बार चक्कर लगाते हैं, जो ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। मंदिर की शांतिपूर्ण वास्तुकला और यह परंपरा इसे आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बनाती है।

तीर्थ मंजूश्री, नेपाल: मौन की साधना

नेपाल के काठमांडू घाटी में स्वयंभूनाथ स्तूप के पास तीर्थ मंजूश्री गुफा में बौद्ध भक्त मौन व्रत और ध्यान की अनोखी परंपरा निभाते हैं। यहां भक्त कई दिनों तक पूर्ण मौन रखते हैं और गुफा में ध्यान करते हैं..जो बुद्धि और आत्मज्ञान के देवता मंजूश्री को समर्पित है। मान्यता है कि यह साधना मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागृति प्रदान करती है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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