नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कहते हैं की “दुनिया में माँ से बड़ा योद्धा कोई नहीं होता”, इस कहावत पर आपको यकीन हो जाएगा जब आप तमिलनाडु (Tamil Nadu)के थूथूकुडी जिले में रहने वाली माँ की दास्ताँ जानेंगे। भारत एक पुरुष प्रधान देश हैं जहां माँ के आँचल के साथ पिता के कंधे की जरूरत होती है लेकिन पेचियाम्मल ने एक अलग ही मिशाल कायम कर दी है, अपनी बेटी को पालने के लिए और समाज से अपनी बेटी को बचाने के लिए वह 30 साल तक महिला की जगह पुरुष बन कर रही। अपने साज शृंगार को छोड़ सिर्फ अपनी बेटी की अच्छी परवरिश के वो अपनी ज़िंदगी के 30 सालों को लुंगी और शर्ट पहन कर गुजारा और करीब 30 सालों तक पुरुष का वेश धारण कर के जीती रही।
यह भी पढ़े… UPSC Recruitment: सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका, यूपीएससी ने निकाली कई पदों पर भर्ती
इसके पीछे की कहानी काफी संघर्ष भरी है, जब पेचियाम्मल 20 साल की थी तब उनकी शादी हो गई, दुर्भाग्यवश सिर्फ 15 दिनों में पति की मौत होने के कारण उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, मजबूरन अपनी बेटी की परवरिश के लिए काम भी करना शुरू किया लेकिन लोग उनसे सही से पेश नहीं आते थे, इसलिए उन्होंने अपनी पहचान पुरुष में बदलने की सोची। हालांकि वह दूसरी शादी कर सकती थी लेकिन अपने बेटी की भविष्य की चिंता करते हुए उन्होंने काभी इस विकल्प को नहीं चुना। सूत्रों की माने तो पेचियाम्मल के दस्तावेजों में उनका नाम मुथू कुमार है।
उन्होंने ने अपने जीवन के कई साल चेन्नई और थुथूकुडी में होटल और ढाबे में काम कर के बिताया फिर उन्होंने चाय और पराठे की दुकान लगाई, लोग उन्होंने मुथू मास्टर के नाम से जानते हैं। उनका पुरुष बनने का फैसला काफी संघर्ष भरा था, लेकिन बेटी की सुरक्षा के लिए उन्होंने सब झेला। इस दौरान उन्हें बसों में पुरुष की सीटों पर बैठना पड़ा और पुरुष शौचालय का इस्तेमाल भी करना पड़ा।