गर्मी का सीजन शुरू होते ही आम (Mango) की बिक्री शुरू हो जाती है। यह खाने में बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होता है। इसे फलों का राजा भी कहा जाता है, मार्केट में 3 से 4 महीने जमकर आम की खरीदारी की जाती है। बाजार में तरह-तरह के मीठे और रसीले आम पाए जाते हैं। पूरी दुनिया की बात करें तो 1000 से अधिक किस्म की आम पाई जाती है, जिसमें विटामिन, पोटेशियम, फाइबर सहित एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें कैलोरी भी अधिक होता है, जो शरीर को ताकत प्रदान करती है। आम को लोग खाने के साथ-साथ इसका चटनी भी बनाते हैं। कच्चे आमों का अचार, खटाई आदि डालते हैं। इसके अलावा, आम से जूस पीते है और आइसक्रीम भी जमाकर खाते हैं। भारत के कई राज्य और शहर आमों के लिए प्रसिद्ध है।
प्रत्येक साल की बात करें, तो लगभग 2 करोड़ टन से अधिक आम का उत्पादन अकेले भारत में किया जाता है, जिससे आर्थिक व्यवस्था भी मजबूत होती है। भारत के टॉप फाइव की लिस्ट में आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक सहित तमिलनाडु का नाम शामिल है, जहां के आमों की डिमांड अमेरिका, लंदन सहित अन्य बहुत सारे देशों में है।

चौसा आम
भारत में लंगड़ा से लेकर दशहरी तक… हर आम का अपना अलग-अलग स्वाद और इसका अपना इतिहास है। इनमें से एक मशहूर वैरायटी चौसा है, जिसे आमों का राजा कहा जाता है। यह अपनी मिठास, रसीलेपन और खुशबू के लिए देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में मशहूर है। जिसका इतिहास भी काफी ही ज्यादा रोचक है। आज के आर्टिकल में हम आपको चौसा आम की कहानी बताएंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि इस आम को चौसा का नाम कैसे मिला।
चौसा की खूबियां
सबसे पहले हम इस आम की खूबियां आपको बताएंगे। यह पकने के बाद सुनहरा पीला हो जाता है। इसमें रेसे बिल्कुल भी नहीं होते। यह बहुत ही ज्यादा रसीला और मीठा होता है, जो कि विटामिन सी से भरपूर होता है। इन खूबियों के कारण पूरी दुनिया में इस आम की बहुत ज्यादा डिमांड है। भारत से इस आम का निर्यात मिडल ईस्ट, यूरोप, कनाडा और अमेरिका तक होता है।
ऐतिहासिक घटना
दरअसल, इस आम का नाम चौसा बिहार में स्थित चौसा शहर से पड़ा है। इसके नामकरण के पीछे भी ऐतिहासिक घटना जुड़ी हुई है। 16वीं शताब्दी में भारतीय शासक शेरशाह सूरी, मुगल बादशाह हुमायूं के बीच बिहार के चौसा में घमासान युद्ध हुआ था। दोनों ओर से ताकत दिखाई गई थी, जिसमें शेरशाह सूरी ने जीत हासिल की। वहीं, हुमायूं को हार का सामना करना पड़ा था। चौसा का यह युद्ध इतिहास में महत्वपूर्ण तारीख बनकर दर्ज हो गया।
ऐसे पड़ा नाम
शेरशाह सूरी खाने पीने की बहुत ही ज्यादा शौकीन थे। वहीं, उन्हें आम का भी बड़ा शौक था। वह विश्व भर में प्रसिद्ध तरह-तरह के आम खाना पसंद करते थे, जिनमें उन्हें सबसे अधिक गाजीपुर के आम पसंद थे। उस वक्त इस आम को गाजीपुरिया आम कहा जाता था, लेकिन अपनी जीत को यादगार बनाने के लिए शेरशाह सूरी ने अपने पसंदीदा गाजीपुरिया आम का नाम बदलकर चौसा आम रख दिया, तब से यह विश्व भर में चौसा आम के नाम से मशहूर हो गया।