Mon, Dec 29, 2025

रेस्टॉरेंट में खाने के बाद क्यों दी जाती है सौंफ-मिश्री, जानिए आयुर्वेद के अनुसार ऐसे फूड कॉम्बिनेशन जो सेहत के लिए हैं चमत्कार

Written by:Shruty Kushwaha
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आयुर्वेद में भोजन की प्रकृति और संयोजन को लेकर बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है। भोजन न सिर्फ शरीर को पोषण देता है बल्कि उसकी गुणवत्ता, मात्रा, समय और संयोजन से ही शरीर, मन और जीवनशक्ति का संतुलन तय होता है। अगर आप सही संयोजन में भोजन करते हैं तो ये अमृत समान होता है लेकिन अगर विरूद्ध-आहार का सेवन किया तो ये कई नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए भोजन करते समय स्वाद और पोषण के साथ इन बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
रेस्टॉरेंट में खाने के बाद क्यों दी जाती है सौंफ-मिश्री, जानिए आयुर्वेद के अनुसार ऐसे फूड कॉम्बिनेशन जो सेहत के लिए हैं चमत्कार

होटलों, रेस्तरां और ढाबों में अक्सर खाने के बाद सौंफ के साथ मिश्री दी जाती है। मसालेदार गरिष्ठ भोजन के बाद सौंफ मिश्री का ये कॉम्बिनेशन सिर्फ मुंह की मिठास बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि पेट की भट्टी को शांत करने के लिए भी होता है। ये परंपरा सिर्फ स्वाद या शिष्टाचार का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसके पीछे आयुर्वेदिक कारण भी हैं।

आयुर्वेद के अनुसार सौंफ और मिश्री का संयोजन पाचन में सहायक, सांस को ताज़ा करने वाला और शरीर को ठंडक देने वाला होता है। यही वजह है कि भारतीय भोजन परंपरा में इसे ‘नेचुरल माउथ फ्रेशनर’ और ‘डाइजेस्टिव टॉनिक’ के रूप में अपनाया गया है। और सिर्फ सौंफ मिश्री ही नहीं..आयुर्वेद में ऐसे और कई खाद्य पदार्थों के संयोजन बताए गए हैं जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी हैं। आज हम ऐसे ही कुछ फूड कॉम्बिनेशन के बारे में जानेंगे।

सौंफ-मिश्री का जादू

ये सिर्फ स्वाद का मामला ही नहीं..सेहत का जादू भी है। सौंफ में मौजूद एंटी-स्पास्मोडिक गुण पेट की गैस, सूजन और अपच को कम करते हैं। मिश्री पाचन तंत्र को शांत करती है। सौंफ का सुगंधित स्वाद मुंह की दुर्गंध को खत्म करता है और मिश्री की हल्की मिठास ताजगी देती है। सौंफ और मिश्री दोनों ही शरीर की गर्मी को संतुलित करते हैं। सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजेन हॉर्मोन्स को नियंत्रित करते हैं।

हल्दी और दूध (गोल्डन मिल्क)

हल्दी दूध का संयोजन हमारे यहां बहुत प्रचलित है। युर्वेद में इसे देसी अमृत कहा जाता है।  हल्दी करक्यूमिन एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। दूध शरीर को कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन डी और जरूरी फैट्स देता है। जब इसमें हल्दी मिलाई जाती है तो यह एक शक्तिशाली औषधि बन जाता है जिसे आयुर्वेद में “स्वर्णक्षीर” (सोने जैसा दूध) कहा गया है।

आंवला और शहद

जब दो नेचुरल सुपरफूड मिलते हैं तो मिलती है अच्छी सेहत। आंवला को आयुर्वेद में ‘धात्री (माँ के समान पोषण देने वाला) कहा गया है। यह शरीर को ठंडक देता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है और कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाता है। शहद में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। यह बलवर्धक और पौष्टिक है। आंवला और शहद को मिलाकर सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमHealth Benefits of Ayurvedic Foodsता में वृद्धि होती है। यह संयोजन शरीर के भीतर जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और खून को साफ करता है। साथ ही जठराग्नि को संतुलित करता है जिससे कब्ज, गैस और अपच से राहत मिलती है। हालांकि, डायबिटीज के मरीजों को इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

घी और त्रिफला

त्रिफला डिटॉक्सिफायर है और घी पाचन तंत्र को चिकनाई देता है। त्रिफला विशेष रूप से आंखों के लिए उपयोगी माना गया है और जब इसे घी के साथ लिया जाए तो यह आंखों की स्निग्धता, दृष्टि शक्ति और थकान कम करने में चमत्कारी लाभ देता है।
ये पुरानी कब्ज के लिए भी रामबाण है। घी शरीर में गहराई तक पहुंचकर कोशिकाओं की मरम्मत करता है और त्रिफला लिवर और आंतों की सफाई करता है। इससे शरीर में जमे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।

अदरक और नींबू

अदरक पाचन को सक्रिय करता है और नींबू शरीर को नींबू पाचन एंजाइम्स के स्राव को बढ़ाता है। यह कॉम्बिनेशन गैस, अपच और ब्लोटिंग को दूर करता है। नींबू शरीर की चर्बी को तोड़ने में मदद करता है और अदरक मेटाबॉलिज्म को तेज करता है। दोनों मिलकर फैट बर्निंग को नेचुरली बूस्ट करते हैं। अदरक कफ को बाहर निकालता है और नींबू में विटामिन सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। यह कॉम्बिनेशन गले के संक्रमण में बहुत लाभकारी है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। इनके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर का परामर्श अवश्य लें।)