फलों की रानी बेरीज़: छोटे रंग-बिरंगे फलों में छिपा है सेहत और स्वाद का खजाना, जानिए इन रसीले रत्नों को क्यों कहा जाता है सुपरफूड

क्या आप जानते है कि स्ट्रॉबेरी को कई संस्कृतियों में प्यार और रोमांस का सिंबल माना जाता है। प्राचीन रोम में स्ट्रॉबेरी को इसके दिल के आकार और लाल रंग के कारण प्रेम और सौंदर्य की देवी वीनस का प्रतीक माना जाता था। रास्पबेरी सिर्फ़ लाल रंग की ही नहीं होती..ये काली, बैंगनी और सुनहरी भी हो सकती हैं। सुनहरी रास्पबेरी को 'शैंपेन बेरी' भी कहा जाता है। क्रैनबेरी पानी में तैर सकती है क्योंकि इनके अंदर छोटे-छोटे एयर पॉकेट्स होते हैं। यही कारण है कि क्रैनबेरी की खेती में पानी भरकर फसल काटने की तकनीक का उपयोग होता है।

छोटे-छोटे, रसीले और रंग-बिरंगे फल जिन्हें पर हम “बेरीज़” कहते हैं..न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होते हैं बल्कि पोषण के मामले में भी ये ‘सुपरफूड’ की श्रेणी में आते हैं। ये विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं जो हृदय रोग, डायबिटीज और एजिंग प्रक्रिया से लड़ने में मदद करते हैं।

बेरीज़ फलों की एक विशेष श्रेणी हैं जो आम तौर पर छोटे, रसदार, गोल और रंग-बिरंगे होते हैं। वनस्पति विज्ञान के अनुसार, बेरी एक ऐसा फल है जो एक ही ओवरी से विकसित होता है और जिसमें बीज बाहरी स्किन के नीचे या गूदे वाले हिस्से में होते हैं। भारतीय बाजारों में अब ये बेरीज़ आसानी से उपलब्ध हैं और लोग इन्हें स्मूदी, सलाद, और डेज़र्ट में इस्तेमाल करते हैं।

बेरीज़: छोटे पैकेट में बड़ा धमाका

क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटा सा फल आपके स्वास्थ्य, स्वाद और रसोई को कैसे रंगीन बना सकता है। हम बात कर रहे हैं ‘बेरीज़’ की जो प्रकृति के छोटे-छोटे रत्न हैं। ये न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी वरदान हैं। स्ट्रॉबेरी की मिठास से लेकर क्रैनबेरी की ताज़गी तक..ये बेरीज़ हर मायने में खास हैं। आइए, बेरीज़ के इस रंग-बिरंगे संसार के बारे में जानते हैं।

भारत में बेरीज़ की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले पाँच सालों में बेरीज़ की खेती और खपत में 30% की वृद्धि होगी। जैविक खेती और कोल्ड स्टोरेज तकनीकों के विकास ने इन नाज़ुक फलों को हर घर तक पहुँचाना आसान बनाया है।

स्ट्रॉबेरी: प्यार का प्रतीक

लाल, रसीली स्ट्रॉबेरी को कौन नहीं पसंद करता। यह फल रोमांस का भी प्रतीक है और इसने तेजी से भारतीय फलों के बीच अपनी जगह बना रहा है। शिमला और महाबलेश्वर जैसे स्थानों में स्ट्रॉबेरी की खेती बढ़ रही है और स्थानीय किसान इसकी जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

ब्लूबेरी: मस्तिष्क का दोस्त

नीली-बैंगनी ब्लूबेरी को “ब्रेन फूड” कहा जाता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से ब्लूबेरी खाने से स्मृति और एकाग्रता में सुधार होता है। भारत में ब्लूबेरी की माँग बढ़ रही है और अब कई स्थानीय स्टार्टअप्स इनकी खेती के लिए कोशिश कर रहे हैं।

रास्पबेरी और ब्लैकबेरी: स्वाद का जादू

रास्पबेरी और ब्लैकबेरी का खट्टा-मीठा स्वाद भारतीय रसोई में नई जान डाल रहा है। ये बेरीज़ चटनी, सॉस और डेज़र्ट में इस्तेमाल हो रही हैं। हिमाचल प्रदेश में रास्पबेरी की खेती को बढ़ावा देने के लिए खासतौर पर सरकारी योजनाएँ शुरू की गई हैं।

क्रैनबेरी और गूज़बेरी: देसी-विदेशी का संगम

क्रैनबेरी का जूस तो आपने पिया ही होगा..लेकिन क्या आप जानते हैं कि गूज़बेरी (आंवला) भी एक बेरी है? भारतीय आंवला अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है और अब इसे स्मूदी और हेल्थ ड्रिंक्स में शामिल किया जा रहा है। वहीं, क्रैनबेरी जूस की माँग भारत में तेज़ी से बढ़ रही है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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