आजकल सोशल मीडिया हमारी पर्सनालिटी और मूड का आईना बन चुका है। व्हाट्सएप पर Black DP लगाना अब सिर्फ एक फैशन या ट्रेंड नहीं, बल्कि कई बार ये मन की स्थिति, भावनाओं या संदेश देने का तरीका बन जाता है। कई लोग इसे स्टाइल स्टेटमेंट मानते हैं, तो कुछ गुस्से या दुख के इजहार के रूप में इसे लगाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार ब्लैक डीपी का सीधा असर आपकी ऊर्जा, सोच और जीवन की दिशा पर भी पड़ता है? दरअसल, काले रंग को भारतीय संस्कृति में अक्सर शोक, नकारात्मकता या रहस्य से जोड़ा जाता है। ऐसे में इसका आपके जीवन पर प्रभाव होना स्वाभाविक है।

ब्लैक डीपी से जुड़ी मान्यताएं और मानसिक प्रभाव
1. वास्तु और ऊर्जा के नजरिए से काली डीपी
वास्तु शास्त्र में रंगों की ऊर्जा का विशेष महत्व बताया गया है। काला रंग आमतौर पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जब आप Whatsapp या किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काली डीपी लगाते हैं, तो यह न केवल दूसरों को एक उदास या रहस्यमयी संदेश देता है, बल्कि आपकी अपनी ऊर्जा को भी प्रभावित करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक काली डीपी रखने से मन में नकारात्मक भावनाएं बढ़ सकती हैं। इससे तनाव, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएं धीरे-धीरे पनपने लगती हैं।
2. ब्लैक डीपी और आपकी सोशल छवि
सोशल मीडिया पर हमारी प्रोफाइल फोटो हमारी पहचान होती है। जब कोई व्यक्ति लगातार Black DP लगाता है, तो बाकी लोग उसे या तो दुखी, नाराज़ या दूरी बनाकर रखने वाला मानने लगते हैं। इससे आपकी सामाजिक छवि पर भी असर पड़ता है।
कुछ लोग तो बिना कुछ कहे ही ब्लैक डीपी लगाकर अपने करीबी लोगों को एक इमोशनल मैसेज देना चाहते हैं। लेकिन अगर ये आदत बन जाए, तो लोग आपको धीरे-धीरे इग्नोर करने लगते हैं। इससे रिश्तों में भी दूरी आ सकती है।
3. ब्लैक डीपी और मन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रंगों का सीधा संबंध हमारे मन और ग्रहों की चाल से भी होता है। शनि ग्रह का संबंध काले रंग से होता है और जब जीवन में रुकावटें, दुख या नकारात्मक सोच बढ़ जाती है, तब व्यक्ति इस रंग की ओर ज्यादा आकर्षित होता है।
अगर कोई व्यक्ति लगातार काली डीपी लगाता है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि वह मानसिक रूप से परेशान है, या खुद को दूसरों से अलग-थलग महसूस कर रहा है। ऐसे में बेहतर है कि आप अपने भावनाओं को समझें और ज़रूरत हो तो अपनों से बात करें या किसी काउंसलर की मदद लें।