चाशनी से भरी गर्मागर्म बूंदी..भारत की पारंपरिक मिठास, कई फैंसी मिठाइयों पर आज भी भारी

अगर मिठाइयों की कोई फैशन कॉम्पिटिशन होती तो बूंदी अपने रूप और स्वाद के कारण यकीनन सबसे ज्यादा पुरस्कार बटोर लेती। दिखने में सुंदर, खाने में कुरकुरी, मीठी चाशनी से भरी बूंदी। बदलते दौर और बदलते स्वाद के बीच भले ही इसके महत्व को कम आंका जाने लगा हो, लेकिन खाने वाले जानते हैं कि ये जलेबी को भी टक्कर देती है। इसे आप एकदम ताज़ा खा सकते हैं या फिर बनाकर कुछ दिनों के लिए रख भी सकते हैं। चाहे तो यूं ही फाँक लीजिए चम्मच से या फिर लड्डू बाँध लीजिए। ये बहुत ही आसानी से बनने वाली मिठाई है जो अरसे से हमारे स्वाद की परंपरा का हिस्सा रही है।

Boondi, The Indian Traditional Sweet : बूंदी के लड्डू भला किसने न खाए होंगे। स्वाद के साथ ये हमारी स्मृतियों का भी हिस्सा हैं। बचपन में पंद्रह अगस्त के दिन तो ख़ासतौर पर बूंदी के लड्डू बांटे जाते थे। कुछ दशक पहले जब बाज़ार तरह-तरह की मिठाइयों से भरा नहीं था..बूंदी के लड्डू एक पसंदीदा स्वीट-ट्रीट हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ कुछ मिठाइयों की कद्र कम हो गई है। बूंदी या बूंदी के लड्डू भी उनमें शामिल है।

लेकिन चाहे जितनी तरह की फैंसी मिठाई आ गई हों..कुछ स्वाद भूलते नहीं। गर्मागर्म चाशनी से निकली हुई बूंदी स्वादेंद्रियों के साथ हमारी आंखों को भी तृप्ति देती है। ये दिखने में इतनी सुंदर जैसे कि किसी ने चाशनी से भरे मोती निकाल दिए हों..और खाने में इतनी स्वादिष्ट की जलेबी को भी मात दे। उसपर इसकी कई वैरायटी भी उपलब्ध है। मोटी बूंदी, बारीक बूंदी, एकदम गरम बूंदी, ठंडी बूंदी, ठंडी बूंदी को तवे पर सेंककर क्रिस्पी बनाकर खाना और जानें क्या क्या।

स्वाद की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है बूंदी 

मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई इलाकों में बूंदी एक पारंपरिक मिठाई के रूप में जानी जाती है। कई जगह शादी ब्याह में इसे पंगत में परोसा जाता है। बूंदी के अलावा इसे कुछ इलाकों में नुक्ती भी कहते हैं। निमाड़ अंचल में तो नुक्ती-सेव पंगत में परोसा जाने वाला मशहूर कॉम्बिनेशन है। बड़े बड़े कड़ाहों में बूंदी तली जाती है और चाशनी से निकलकर जब आपकी पत्तल में आती है तो इसके सामने सारी महंगी मिठाइयां फेल लगती हैं।

आसान और स्वादिष्ट मिठाई

बूंदी एक सस्ती, आसान और बहुत स्वादिष्ट मिठाई है। इसे बिना लंबी तैयारी के महज कुछ ही सामग्री के साथ घर पर भी सरलता से बनाया जा सकता है। और इसमें मैदा नहीं होता, ये बेसन से बनती है इसलिए सेहत के लिए भी बेहतर है। बूंदी की एक ख़ासियत ये भी है कि आप इसके साथ बहुत कुछ कर सकते है। चाहें तो मोटी बूंदी बनाकर उसे यूं ही खा लीजिए या लड्‍डू बाँध लीजिए। एकदम गर्मागर्म खाइए या डिब्बे में भरकर हफ्ते भर तक आनंद लेते रहिए। बारीक बूंदी बनाकर मोतीचूर के लड्डू बना लीजिए। आपको कुछ और मज़ेदार करना है तो बेसन में खाने वाला हरा, केसरी, लाल रंग मिलाकर रंग-बिरंगी बूंदी भी बना सकते हैं। साथ ही चाशनी में केसर या केसरी रंग, इलायची, गुलाब का या अपनी पसंद का कोई एसेंस डालकर स्वाद में थोड़ा बदलाव भी कर सकते हैं। चाहें तो इसमें मेवे भी मिला सकते हैं।

बनाने का विधि

बूंदी बनाने के लिए मुख्यत: बेसन (चने का आटा), पानी और चाशनी के लिए चीनी या शक्कर का उपयोग किया जाता है। बूंदी को गर्म तेल या घी में छोटे-छोटे गोलाकार रूप में तला जाता है। इसे तलने के लिए छलनी या झारे का उपयोग होता है। इसके बाद उसे गर्म चाशनी में डाला जाता है। ये चाशनी सामान्यतया 1 से 2 तार की होती है, जिसमें अक्सर इलायची, केसर, या ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह बूंदी को मीठा और सुगंधित बनाती है। बूंदी हल्की, कुरकुरी और चाशनी में डूबी होती है जिसका स्वाद अद्वितीय होता है। बूंदी का विशेष महत्व भारतीय त्योहारों जैसे दीवाली, दुर्गा पूजा और शादी-ब्याह के अवसर पर बहुत ख़ास है। गरमागरम चाशनी वाली बूंदी भारतीय मिष्ठान्न परंपरा का अहम हिस्सा है और आज भी ख़ास अवसरों पर बूंदी के लड्डू अपनी मौजूदगी पूरे ठाठ से दर्ज़ कराते हैं।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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