क्या आप बोर हो गए हैं: उकताहट में आपका दिमाग बन जाता है क्रिएटिव स्क्रिप्ट राइटर, जानिए बोरियत का न्यूरोसाइंस

अगर आप बोर हो गए हैं तो ये खबर आपके लिए है। आपकी बोरियत भी असल में एक छिपा हुआ खजाना है क्योंकि आपका दिमाग उस वक्त एक अनोखी दुनिया रच रहा होता है। ऐसी दुनिया जो आपको नई प्रेरणा, क्रिएटिविटी..यहां तक कि जीवन के नए लक्ष्य भी दे सकती है। न्यूरोसाइंस का कहना है कि बोरियत में दिमाग की यह स्वच्छंद उड़ान हमें बेहतर इंसान बनने में मदद करती है। इसलिए अगली बार जब आप बोर हों तो ये बात ज़रूर याद रखें।

क्या आपने कभी गौर किया है कि जब आप बोर हो रहे होते हैं तो आपका दिमाग अचानक कहानियां बुनने लगता है। एक पल आप ऑफिस की कुर्सी पर बैठे चाय की चुस्कियों के बीच खोए हैं और अगले ही पल आपका दिमाग किसी सुपरहीरो की तरह आसमान में उड़ रहा है या किसी पुरानी याद में खो गया है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है।

यह कोई संयोग नहीं है। न ही आपके दिमाग में कोई गड़बड़ है। न्यूरोसाइंस के शोध बताते हैं कि बोरियत हमारे दिमाग को एक अनोखी रचनात्मक यात्रा पर ले जाती है। इसके पीछे कुछ आश्चर्यजनक कारण हैं। आइए आज जानते हैं कि बोरियत में दिमाग क्यों एक स्क्रिप्ट राइटर बन जाता है।

बोरियत: दिमाग का ‘क्रिएटिव बटन’

क्या आपने कभी नोटिस किया है कि जब आप बोर हो रहे होते हैं..लंबी मीटिंग, ट्रैफिक जाम या बिना काम के खाली बैठने के दौरान तो आपका दिमाग अचानक किसी फिल्मी सीन, फैंटेसी या अतीत की बातों की ओर चला जाता है। या फिर बोर होते-होते आप सोच लेते हैं कि चलो किचन में कुछ नया बनाया जाए, या अपनी कोई पुरानी पेंटिंग पूरी की जाए या फिर कोई अच्छी फिल्म ही देख लें। लेकिन ऐसा क्यों होता है..इस सवाल का जवाब न्यूरोसाइंस के पास है, जो बेहद दिलचस्प है।

बोरियत को अक्सर नकारात्मक रूप में देखा जाता है लेकिन न्यूरोसाइंस इसे एक छिपा हुआ उपहार मानता है। एक रिपोर्ट के अनुसार बोरियत दिमाग को ‘रिचार्ज’ करने का मौका देती है। जब हम बोर होते हैं तो हमारा मस्तिष्क एक तरह से “स्वच्छंद विचरण” की अवस्था में चला जाता है। इस दौरान दिमाग बाहरी चिंताओं से मुक्त होकर अपनी आंतरिक दुनिया में गोते लगाता है जिससे कल्पनाए, सपने और नए विचार जन्म लेते हैं।

न्यूरोसाइंस का खुलासा: दिमाग की ‘डिफॉल्ट मोड नेटवर्क’

शोधकर्ताओं ने पाया है कि बोरियत के दौरान दिमाग का एक खास हिस्सा, जिसे डिफॉल्ट मोड नेटवर्क (DMN) कहा जाता है, सक्रिय हो जाता है। यह नेटवर्क तब काम करता है जब हम बाहरी दुनिया से ध्यान हटाकर अपने विचारों में डूबते हैं। नेचर कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित एक अध्ययन में कनाडा के रिसर्च चेयर डॉ. पोपेंक के अनुसार यह नेटवर्क दिमाग को विचारों के बीच तेजी से “कनेक्शन” बनाने में मदद करता है। इसे “थॉट वर्म्स” का नाम दिया गया है जो दिमाग की गतिविधि के छोटे-छोटे पैटर्न हैं। ये पैटर्न तब बनते हैं जब हम एक विचार से दूसरे विचार की ओर बढ़ते हैं, जैसे किसी पुरानी याद से भविष्य की कल्पना तक।

जब हम बोर होते हैं तो DMN हमें पुरानी यादों, भविष्य की योजनाओं या पूरी तरह काल्पनिक कहानियों में ले जाता है। उदाहरण के लिए..आप बस में बैठे हैं और अचानक सोचने लगते हैं कि अगर आप लॉटरी जीत जाएं तो क्या करेंगे। यह दिमाग का तरीका है बोरियत से बचने और रचनात्मकता को बढ़ावा देने का।

बोरियत का सकारात्मक पहलू

बोरियत को हमेशा बुरा नहीं मानना चाहिए। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बोरियत हमें यह सोचने का मौका देती है कि हम अपनी जिंदगी से क्या चाहते हैं। यह एक तरह से दिमाग का “रीसेट बटन” है जो हमें नए लक्ष्य बनाने और समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने में मदद करता है।

सावधान! बोरियत के नकारात्मक प्रभाव भी हैं

हालांकि बोरियत रचनात्मकता को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन अगर यह लंबे समय तक रहे तो नुकसानदायक भी हो सकती है। सैंडी मान जो 20 साल से बोरियत पर शोध कर रही हैं..चेतावनी देती हैं कि लंबे समय तक बोरियत तनाव, खराब मानसिक स्वास्थ्य और नशे की लत जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकती है। इसलिए आपको अपनी बोरियत पर भी नज़र रखने की ज़रूरत है कि वो आपको किस दिशा में ले जा रही है।

बोरियत को कैसे बनाएं रचनात्मक

विशेषज्ञों का कहना है कि बोरियत को सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सकता है। इसके लिए आप माइंडफुलनेस का अभ्यास करे। ध्यान या मेडिटेशन से दिमाग को शांत और रचनात्मक बनाएं। नया शौक अपनाएं.. बोरियत के पलों में कोई नई स्किल जैसे पेंटिंग या लेखन, सीखने की कोशिश करें। प्रकृति के साथ समय बिताएं..बाहर टहलने से दिमाग को नए विचार मिलते हैं और बोरियत कम होती है। अपने दिमाग में चल रही कहानियों को जर्नल में लिखें यह रचनात्मकता को बढ़ाता है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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