Bubble Wrap : दीवारों को सुंदर बनाने के लिए हुआ था अविष्कार, बबल रैप फोड़ने में क्यों आता है मज़ा

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हम कोई भी कांच का सामान या फिर नाजुक चीज़ खरीदते हैं तो वो बबल रैप (bubble wrap) में पैक करके मिलती है। इसे देखते ही हमारा मन बबल्स को फोड़ने का करने लगता है। इसकी पट-पट आवाज जाने मन को क्या सुकून देती है। चाहे बच्चा हो या बड़ा, सभी को इसे फोड़ने में खासा मजा आता है। लेकिन ये बबल रैप हमारे पर्यावरण के लिए बिल्कुल ठीक नहीं हैं।

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बबल रैप का अविष्कार 1957 में हुआ और Al Fielding और Marc Chavannes ने इसे एक वॉलपेपर के तौर पर बनाया था। उनका आइडिया इसे टेक्सचर्ड वॉलपेपर के रूप में क्रिएट करना था लेकिन ये लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं आया। प्रोडक्ट जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया वो तो फेल हो गया, लेकिन लोग इसमें सामान लपेटने लगे। इसके बाद दोनों ने इसका सुरक्षा फीचर आईबीएम (IBM) को बेच दिया और उन्होने इसका यूज़ अपने कंप्यूटर्स की पैकिंग के लिए करना शुरू कर दिया। तभी से ये क पैकिंग मटेरियल के रूप में हिट हो गया।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।