ChatGPT का ज्यादा यूज़ बढ़ा सकता है आपका अकेलापन, स्टडी में सामने आए कई चौंकाने वाले नुकसान

ChatGPT जैसे चैटबॉट का अधिक इस्तेमाल करना अकेलापन बढ़ा सकता है। हाल ही में की गई स्टडी में सामने आया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट के इस्तेमाल के काफी सारे नुकसान हैं। इंसानो की सोचने और एक-दूसरे के इमोशंस को समझने की काबिलियत को भी कम कर रहा है AI

टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को पहले से ज्यादा आसान तो बना दिया है। जैसे कि स्कूल, कॉलेज से लेकर बड़े-बड़े दफ्तरों तक हर जगह हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। खासतौर पर AI चैटबॉट जैसे ChatGPT, जिसने लोगों का काम आसान कर दिया है। इसने लोगों का काम आसान ही नहीं, उनका काम करने का तरीका भी बदल दिया है।

AI न सिर्फ पढ़ाई में मदद कर रहा है , बल्कि लोगों को अपने दैनिक जीवन में कार्य करने में भी काफी मदद कर रहा है। लेकिन जितनी तेजी से यह सुविधा हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है, उतनी ही तेजी से इसके बहुत सारे हानिकारक प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ रहे हैं। हाल ही में एक स्टडी में सामने आया कि चैटबॉट के ज्यादा इस्तेमाल करने से लोगों में अकेलेपन की समस्या बढ़ती जा रही है।

कैसे बन रहा है AI अकेलेपन की वजह

ओपन AI और MIT की रिसर्च में यह बात बताई गई कि जो लोग रोजाना घंटे तक चैटबॉट का इस्तेमाल करते हैं, वे धीरे-धीरे इन AI पर भावनात्मक रूप से ज्यादा निर्भर होने लगे हैं। ऐसे लोग असली दुनिया के रिश्तों से दूर होने लगे हैं। उनके लिए सोसाइटी में मिलना-जुलना मुश्किल हो गया है। खासतौर पर वे लोग, जो पहले से इमोशनली काफी सेंसिटिव होते थे, वे लोग इन AI चैटबॉट के आ जाने के कारण सोसाइटी से दूर रहना ही पसंद कर रहे हैं।

यंग जनरेशन पर हुआ है मानसिक रूप से ज्यादा असर

आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी के उपयोग पर लंबे समय से बहस चल रही है। खासतौर पर यंग जनरेशन और मानसिक रूप से परेशान लोगों पर इसका कुछ ज्यादा ही हानिकारक प्रभाव पड़ा है। चैटबॉट इंसानों की तरह जवाब देने लगे हैं, जिसके कारण कई लोग अपनी निजी समस्याएं भी इन AI चैटबॉट के साथ शेयर करते हैं। वहीं, इनसे इन समस्याओं का समाधान भी पूछते हैं। लेकिन इन चैटबॉट्स में किसी भी तरह की मानवीय भावनाएं नहीं होतीं, इनमें इंसानी इमोशन्स नहीं होते हैं। जिसकी वजह से इन चैटबॉट्स पर निर्भर होना पूरी तरह से सही नहीं है।

पिछले साल ही एक ऐसा मामला सामने आया, जहां एक AI चैटबॉट पर यह आरोप लगा कि उसने एकबच्चे को आत्महत्या के लिए उकसाया। इस केस में एक AI चैटबॉट पर एक 14 साल के बच्चे को आत्महत्या के लिए उकसाने का गंभीर आरोप लगा था।

व्यक्तिगत रिश्तों पर भी पड़ रहा है असर

जहां पहले लोग आपस में मिलते थे, अपने दोस्तों से बातचीत करते थे, साथियों के साथ अपनी भावनाएं शेयर करते थे, अब वे कई बार इन AI चैटबॉट्स का इस्तेमाल करते हैं और उन्हीं के साथ अपनी भावनाएं शेयर करने लगे है । आजकल मार्केट में कई ऐसे चैटबॉट्स आ गए हैं, जिनसे आप बातचीत कर सकते हैं। उनसे बातचीत करना कुछ हद तक ठीक भी है, लेकिन उनके साथ इमोशनली जुड़ जाना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है , हाल ही मे स्टडी में सामने आया कि जो लोग इन चैटबॉट्स से बातचीत करते हैं, वे असली दुनिया में लोगों के साथ बातचीत करने में घबराते है । वे असली रिश्तों की गंभीरता को समझ नहीं पाते हैं। उनमें इंसानी इमोशंस को समझने की काबिलियत धीरे-धीरे कम हो जाती है


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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